दिल्ली शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने संजय सिंह से पूछताछ शुरू कर दी है। संजय सिंह के सहयोगियों सर्वेश मिश्रा और विवेक त्यागी को भी सम्मन जारी कर 6 अक्टूबर को पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय ने बुलाया था। कहा जा रहा है कि इन दोनों को संजय सिंह के सामने बैठाकर पूछताछ होगी। इसके जरिए प्रवर्तन निदेशालय शराब घोटाले में पैसों की लेनदेन की ट्रेल पता करना चाहता है।
लेकिन संजय सिंह के मामले में एक जो सबसे बड़ी बात कही जा रही है, वह यह है कि संजय सिंह का पूरा मामला शराब घोटाले के एक अन्य आरोपी दिनेश अरोड़ा के बयान पर आधारित है। कथित तौर पर अदालत के सामने दिए अपने बयान में दिनेश अरोड़ा ने यह स्वीकार किया है कि आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली में आयोजित की गई एक फंड रेजिंग पार्टी में उसकी मुलाकात संजय सिंह के साथ हुई थी। संजय सिंह ने बाद में उसे तत्कालीन आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया से मिलवाया था।
दिनेश अरोड़ा ने यह भी स्वीकार किया है कि उसने आम आदमी पार्टी के लिए फंड दिया था। साथ ही उसने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के कहने पर उनके करीबी सर्वेश मिश्रा को एक करोड़ रूपये दिए थे। आरोप है कि ये रुपये संजय सिंह के लिए ही लिए गए थे। प्रवर्तन निदेशालय आज छः अक्टूबर को सर्वेश मिश्रा को संजय सिंह के सामने इस मामले में भी पूछताछ कर सकती है।
संजय सिंह के वकील धीरज सिंह ने अमर उजाला से कहा कि जिस दिनेश अरोड़ा की गवाही पर आम आदमी पार्टी सांसद को फंसाया जा रहा है, उसने अब तक कई बार अपना बयान बदला है। जब तक वह प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्त में था, उसने कभी संजय सिंह का नाम नहीं लिया। लेकिन जमानत दिए जाने के बाद उसने अपनी स्टेटमेंट में सांसद संजय सिंह को पैसा देने का आरोप लगाया। इससे यह सिद्ध होता है कि उसने किसी दबाव या किसी लालच में अपना बयान बदला है, और अदालत इस तरह के बयान को स्वीकार नहीं करती।
धीरज सिंह ने कहा कि आरोप लगाए जा रहे हैं कि संजय सिंह के दिल्ली में नॉर्थ एवेन्यू स्थित आवास के बाहर दिनेश अरोड़ा के एक करीबी (कंवरबीर सिंह) के माध्यम से संजय सिंह के करीबी (सर्वेश मिश्रा) को एक करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। लेकिन अभी तक ऐसी कोई मनी ट्रेल नहीं पाई गई है जिसमें पैसे के लेनदेन के साश्र्य मिलते हों। ऐसे में पूरा मामला केवल आरोप पर आधारित है और अदालत ऐसे तर्कों को स्वीकार नहीं करती। उसे मजबूत साक्ष्य चाहिए होते हैं जो इस मामले में कहीं नहीं हैं।
इस तरह बन सकते हैं आरोप
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील अश्विनी कुमार दुबे ने अमर उजाला से कहा कि सरकारी गवाह के बयान मात्र से किसी व्यक्ति को अदालत में दोषी नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन यदि उन आरोपों से जुड़ी मनी ट्रेल या नीतियां आरोपों के साथ मैच कर जाती हैं तो यह किसी व्यक्ति पर मामला चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हो सकता है।
इस मामले में, यदि यह बात साबित हो जाती है कि संजय सिंह ने दिनेश अरोड़ा की मुलाकात मनीष सिसोदिया से कराई और उसके बाद नीतियों में परिवर्तन कर दिनेश अरोड़ा या कुछ अन्य लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाया गया तो इस मामले में अदालत संजय सिंह को संदिग्ध मान सकती है। ऐसी स्थिति में संजय सिंह के द्वारा पैसों की लेनदेन न किए जाने के बाद भी यह एक अपराध मान लिया जाएगा क्योंकि इस मुलाकात के बाद नीतियों में इस तरह के बदलाव किए गए जिससे किसी को आर्थिक लाभ हो सकता था।