कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैय ने कथित भूमि घोटाले को लेकर भाजपा-जद (एस) के ‘मैसूर चलो’ मार्च की शुक्रवार को आलोचना की। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के किसी भी नेता के पास उनसे सवाल करने का नैतिक हक नहीं है। उन्होंने जनता से ‘मनुवादियों’ को बाहर निकालने को कहा।
‘मैसूर चलो’ अभियान से एक दिन पहले सिद्धारमैया ने अपने गृह नगर में शक्ति प्रदर्शन में विपक्ष पर हमला किया। बंगलूरू से मैसूर तक मार्च का आयोजन मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर किया गया है। आरोप है कि उनकी पत्नी पार्वती को मैसूरी विकास प्राधिकरण (मूडा) में एक घोटाले में फायदा हुआ। विपक्ष का आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी को शहर के एक दूरदराज इलाके में 3.40 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के बदले वैकल्पिक भूखंड मिले।
वहीं, विपक्ष के आरोपों और पदयात्रा के जवाब में महाराजा कॉलेज ग्राउंड्स में आयोजित जनांदोलन सम्मेलन में सिद्धारमैया ने कहा कि नौ अगस्त अंग्रेजों को भारत से खदड़ने के ऐतिहासिक भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ है। उन्होंने कहा, आज हमें सांप्रदायिक, जातिवादी और सामंती लोगों को खदेड़ना होगा। हमें मनुवादियों, जातिवादियों और सामंती लोगों का विरोध और निंदा करनी होगी, जो पिछड़े और शोषित लोगों को बर्दाश्त करने में असमर्थ हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्रियों देवराज उर्स, एस. बंगारप्पा और एम. वीरप्पा मोइली को इसलिए पद छोड़ने के लिए मजबूर किया, क्योंकि वे पिछड़े समुदायों से आते हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी, पूर्व मुख्यमंत्री एन. धरम सिंह से किए गए वादे से पीछे हट गए और उन्होंने उन्हें सत्ता से बाहर करने के लिए सांप्रदायिक भाजपा से हाथ मिलाया था। सिद्धारमैया ने कहा कि भाजपा और जद (एस) को उनसे सवाल करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि उनके नेता घोटालों में शामिल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर.अशोक, पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा, उनके बेटे बी.वाई.विजयेंद्र और कुमारस्वामी को इस्तीफा मांगने का क्या नैतिक अधिकार है।