33 C
Mumbai
Friday, October 18, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

10 लाख ‘दलित कमांडो’ तैयार करेगी कांग्रेस, पूरे देश में होगा संविधान की प्रस्तावना का पाठ

लोकसभा चुनाव में दलित समुदाय के मतदाताओं के वोट बड़ी संख्या में पाने के बाद कांग्रेस उन्हें अपने साथ पूरी मजबूती के साथ जोड़ने में जुट गई है। इसके लिए पार्टी के स्तर पर पूरे देश में ‘संविधान रक्षक अभियान’ शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत देश के हर गांव में दो सक्रिय दलितों को ‘संविधान रक्षक’ बनाया जा रहा है। 26 नवंबर तक पूरे देश में दस लाख संविधान रक्षक बनाए जाएंगे। इनके द्वारा हर गांव में दो संविधान रक्षक समितियां बनाई जाएंगी। 26 नवंबर को संविधान दिवस के दिन पूरे देश में एक निश्चित समय पर एक साथ संविधान की प्रस्तावना का पाठ किया जाएगा। इसका उद्देश्य दलित-वंचित समुदाय को कांग्रेस के साथ जोड़ना है।

दरअसल, चुनाव परिणामों में यह दिखाई पड़ा है कि पूरे देश में दलित समुदाय संविधान की रक्षा के नाम पर उसके साथ जुड़ा है। इसके लिए उसने बहुजन समाज पार्टी जैसी अपनी परंपरागत पार्टियों तक का साथ छोड़ा है। कांग्रेस के पक्ष में जो बात ज्यादा मजबूती के साथ जाती है, वह यह है कि बसपा से टूटने वालों में केवल गैर जाटव समुदाय ही नहीं था, अपेक्षाकृत बेहद मजबूत वोट बैंक माना जाने वाला जाटव समुदाय भी इस बार कांग्रेस के पक्ष में टूटा है। 

कांग्रेस का मानना है कि उसका यह परंपरागत वोट बैंक उसके पास केवल बड़े मुद्दों पर पार्टी की प्रतिबद्धता को देखकर आया है। यही कारण है कि पार्टी अब उन्हीं मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करते हुए पूरे देश के दलित मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने में लग गई है। योजना है कि हर दलित बहुल इलाकों में दो-दो संविधान रक्षक समितियां बनाई जाएं, जो मासिक-पाक्षिक स्तर पर छोटी-छोटी बैठकें कर आम दलित मतदाताओं के बीच राजनीतिक चेतना विकसित करने का काम करें।

चुनावी राज्यों पर विशेष ध्यान
विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए इस योजना को विशेष तौर पर उन राज्यों में लागू किया जा रहा है, जहां आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने हैं। हरियाणा के सात हजार दलित बहुल गांवों में 14 हजार दलित संविधान रक्षक तैयार किए जा रहे हैं। इसी तरह महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार और जम्मू-कश्मीर में पार्टी की तैयारी चल रही है। दिल्ली में इस समय 12 विधानसभा क्षेत्र आरक्षित श्रेणी में आते हैं। पार्टी इन सब में जीत हासिल करने के लक्ष्य से आगे बढ़ रही है। पार्टी ने 1998 में दिल्ली की सभी आरक्षित सीटों पर जीत हासिल की थी। पार्टी उसी इतिहास को दुहराने की कोशिश में है।                

भाजपा की गलती का लाभ उठाएगी कांग्रेस 
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सलाह पर भाजपा ने संगठन के हर स्तर पर दलित और आदिवासी नेताओं को आगे बढ़ाने का काम किया है। संगठन के साथ-साथ सरकार और मंत्रिमंडल में बड़े पदों पर दलित-आदिवासी समुदाय के नेताओं को बिठाकर पार्टी ने इन समुदायों को मजबूती के साथ अपने साथ जोड़ने का काम किया है। इसी का असर हुआ है कि 2014 से लेकर 2022 तक पार्टी ने अनेक बड़े चुनाव जीतते हुए करिश्मा कर दिखाया। 

लेकिन 2024 के चुनाव में भाजपा के कुछ नेताओं के बयानों से यह संदेश गया कि वह चुनाव में बड़ी जीत के बाद संविधान में बड़े बदलाव कर सकती है। कांग्रेस ने इस अवसर को भुनाया और पूरे देश में यह प्रचारित किया कि भाजपा संविधान में बदलाव करने की कोशिश कर सकती है। राहुल गांधी ने अपने हाथ में जिस तरह संविधान की प्रति लेकर इन बातों को मजबूती से उठाया, कांग्रेस को इसका लाभ मिला और दलित-आदिवासी मतदाताओं का एक वर्ग भाजपा-बसपा जैसे दलों से टूटकर उसके खाते में आ गया। मुस्लिम मतदाताओं के साथ यही मतदाता कांग्रेस को पुनर्जीवित कर गया। पार्टी अब इसी जनाधार को पकड़ कर रखने की कोशिश में है। 

कहां से चुनौती
कांग्रेस की दलितों का दिल जीतने की योजना बहुत अच्छी है, लेकिन इसको जमीन पर उतारना इतना भी आसान नहीं है। भाजपा ने अपने हार का लेखा-जोखा तैयार किया है। पार्टी को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वह इस पर दुबारा मजबूती से काम करने की रणनीति पर काम करने जा रही है।

उधर लगातार अपना जनाधार खोती बसपा भी वापसी के लिए बेचैन है। मायावती ने पार्टी को दुबारा पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी भतीजे  आकाश के हाथों में सौंप दी है। आकाश ने जितना आक्रामक अभियान शुरू किया था, उसे देखते हुए कई राजनीतिक पंडित बसपा का भविष्य बेहतर देख रहे हैं। 

हमारी विश्वसनीयता हमारी ताकत: राजेश लिलोठिया
ऐसे में दलित वोटों के दो बड़े दावेदारों के मैदान में रहने से कांग्रेस की संभावनाएं आसान नहीं दिखाई दे रही हैं। लेकिन कांग्रेस नेता इसके प्रति बहुत आश्वस्त हैं। दलित कांग्रेस विभाग के चेयरमैन राजेश लिलोठिया ने अमर उजाला से कहा कि आजादी के बाद से आज तक 75 साल का इतिहास हमारी विश्वसनीयता सिद्ध करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक तरफ कांग्रेस ने संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत करने का काम किया है, जबकि केवल दस साल में वर्तमान सरकार ने अनेक संवैधानिक संस्थाओं को पंगु बना दिया है। दलित समुदाय संविधान के साथ छेड़छाड़ होने की आशंका से डरा हुआ है। ऐसे में कांग्रेस उनके साथ खड़ी होकर देश-संविधान को मजबूत करने का काम करेगी। कांग्रेस की यही योजना उसकी ताकत बन सकती है।

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here