रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले रक्षा विभाग द्वारा तीनों सेनाओं एवं दूसरी शाखाओं को अंग्रेजी राज में बने उस एक्ट की याद दिलाई जा रही है, जिसमें 14 साल की सजा तक का प्रावधान है। इस बाबत पिछले दिनों एक सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें भारत सरकार के आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 और केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1964 से सभी अधिकारियों को अवगत कराने के लिए कहा गया है। सर्कुलर में कहा गया है कि पिछले दिनों कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है।
साल 2019 में ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत 36 मामले दर्ज किए गए थे। इसके अगले वर्ष 39 मामले और साल 2021 में 50 केस दर्ज हुए थे। अब जो सर्कुलर जारी हुआ है, उसमें सभी अधिकारियों से कहा गया है कि वे अपने-अपने कार्यक्षेत्र के मुताबिक, सभी लोगों को उक्त एक्ट से अवगत कराएं। सर्कुलर में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 की मुख्य बातों का भी जिक्र किया गया है। इसमें सेक्शन 3, सेक्शन 5, सेक्शन 9 व सेक्शन 10 के बारे में बताया गया है। आधिकारिक गुप्त अधिनियम के तहत जासूसी करना और राजद्रोह भी शामिल है। हालांकि राजद्रोह को खत्म करने वाला विधेयक संसद में पेश किया गया है। इस कुछ समय बाद इसे देशद्रोह की संज्ञा दी जा सकती है।
ये सब बातें उक्त एक्ट का उल्लंघन है
ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट में कई प्रावधान हैं। कोई भी व्यक्ति किसी सरकारी या महत्वपूर्ण बिल्डिंग का नक्शा किसी के साथ साझा करता है, उसका स्केच बनाना और जरूरी फाइल में दर्ज जानकारी को नोट करना, आदि गतिविधियां भी उक्त एक्ट के अंतर्गत आती हैं। अगर कोई व्यक्ति देश की सुरक्षा के लिहाज से कोई गुप्त जानकारी जुटाता है, उसे रिकॉर्ड करता है, सीक्रेट जानकारी जैसे कोई प्लान, मॉडल या दस्तावेज किसी ऐसे इंसान को भेजने की कोशिश करता है, जिससे देश की सुरक्षा को खतरा हो तो वह अपराध, ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट में आता है।
इसमें वह जानकारी भी शामिल है, जिसके लीकेज से पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध खराब हो सकते हैं। रक्षा क्षेत्र, सैन्य प्लानिंग या वायुसेना प्रतिष्ठान, सुरंग, कारखाना, डॉकयार्ड, शिविर, नौसेना व जहाज आदि से संबंधित जानकारी, जिसे उक्त एक्ट के तहत सुरक्षित रखा गया है, ऐसे उल्लंघन में 14 साल की सजा और जुर्माना लगाने का प्रावधान है। ऐसा कोई भी अनाधिकृत संचार, जिसके आदान-प्रदान के लिए वह व्यक्ति अधिकृत नहीं है, लेकिन इसके बावजूद वह ऐसा करता है तो उसके खिलाफ भी ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है।