गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी की दो घटनाओं पर गुजरात हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। मामले की गंभीरता को समझते हुए कोर्ट ने इस पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान बुधवार को गुजरात हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, ऐसा लगता है कि संस्थान मामले को छिपाने की पूरी कोशिश कर रहा है। इनके लिए छवि को बचाना मुद्दा है।
यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी मायी की खंडपीठ ने कथित घटना के संबंध में एक अखबार की रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, हम यह समझने में विफल है कि संस्थान इस घटना से कैसे और किस तरीके से निपट रहा है। जबकि इस घटना की सूचना रजिस्ट्रार, जीएनएलयू को मिली थी। वहीं कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, विश्वविद्यालय की जांच से लगता है कि छवि बचाने के लिए मामले को छिपाने का प्रयास हुआ है।
हाईकोर्ट ने उस तरीके पर भी आपत्ति जताई है, जिसमें यूनिवर्सिटी की हाल ही में पुनर्गठित आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के अध्यक्ष को अखबार में छपे आरोपों की जांच के लिए गठित तथ्य खोज समिति का सदस्य बनाया गया था। साथ ही यह भी कहा गया कि समिति ने आज तक अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी हैं।
क्या है मामला?
22 सितंबर को एक अखबार में छपी रिपोर्ट में जीएनएलयू के दो छात्रों के उत्पीड़न का मामला सामने आया था। कोर्ट ने कहा, पीड़ित छात्र को इसलिए परेशान किया गया था क्योंकि वह समलैंगिक है। वहीं दूसरे मामले में एक छात्रा के साथ उसी के कक्षा में पढ़ रहे छात्र द्वारा दुष्कर्म किया गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए अखबार में छपी रिपोर्ट पर गुजरात हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है।