लोकसभा में गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें विपक्ष के 14 सांसदों को बाकी शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया गया है। हालांकि, बाद में एक डीएमके सांसद एसआर पार्थिवन का नाम सूची से हटा दिया गया। इससे पहले कांग्रेस के नौ सांसदों और अन्य विपक्षी दलों के पांच सांसदों के खिलाफ सदन की कार्यवाही बाधित करने के आरोप में यह कार्रवाई की गई। पहले विपक्ष के पांच सांसदों और फिर नौ अन्य सांसदों को निलंबित कर दिया गया था।
संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में एक प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में गलत बर्ताव के चलते पांच सदस्यों टीएन प्रथापन, हीबी एडेन, जोथिमनी, राम्या हरिदास और डीन कुरियाकोस को निलंबित किया गया। इस दौरान बी महताब सदन की अध्यक्षता कर रहे थे। इसके बाद विपक्षी सासंदों ने हंगामा शुरू कर दिया। इस पर स्पीकर बी महताब ने कांग्रेस के नौ अन्य सांसदों को भी निलंबित कर दिया। इनमें बेनी बेहानान, वीके श्रीधरन, मोहम्मद जावेद, पीआर नटराजन, कनिमोई करुणानिधि, के सुब्रमण्यन, एसआर पारथीबान, एस वेंकटेशन और मणिकम टैगोर के नाम शामिल हैं।
लोकसभा से कुल 13 सांसदों को निलंबित कर दिया गया: मंत्री
सांसदों के निलंबन पर प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लोकसभा से कुल 13 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। एक सांसद जो वेल में मौजूद नहीं थे, उसे भी निलंबित कर दिया गया, हमने लोकसभा अध्यक्ष से उस नाम को हटाने का अनुरोध किया और अध्यक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया।
संसद की सुरक्षा में चूक पर कही यह बात
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि पहले भी घटना घटी है, 1974 में रतन चंद्र गुप्ता ने नारेबाजी की थी और पिस्तल और बम जैसे दिखने वाली कोई चीज लाए थे, तब भी स्पीकर ने ही निर्णय लिया। सरकार का इसमें कुछ नहीं है, क्योंकि यह स्पीकर का अधिकार क्षेत्र है। 26 नवंबर 1974 को भी ऐसा हुआ था, तब भी स्पीकर ने कार्रवाई की थी। मेरा कहना बस इतना है कि स्पीकर सदन का संरक्षक होता है, पूरा सदन स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में है। मामले का राजनीतिकरण न करें। हम इस मामले पर बेहद संवेदनशील हैं।