“कैंसर वक्त नहीं देता- यह आज भी उतना ही सत्य है। वरना, बिहार की राजनीति के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने अपने कैंसर की सूचना देने के 40 दिनों बाद ही दुनिया को अलविदा कहा। बिहार में बीजेपी के दौरे के दौरान उन्होंने अपने स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रखा था। बीजेपी के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा के पूर्व सांसद सुशील मोदी की दिल्ली में शनिवार की रात अंतिम साँसें ली गई। पिछले महीने की तीन तारीख को उन्होंने कैंसर का संघर्ष करते हुए सक्रिय राजनीतिक कार्य में से अलग होने का एलान किया था। पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को कैंसर के असुविधा से गुजर रहे थे। उनका इलाज दिल्ली के आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (एम्स) में चल रहा था।
सुशील कुमार मोदी ने 03 अप्रैल को सार्वजनिक जीवन के लिए अंतिम संदेश दिया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- “पिछले छह महीने से कैंसर से लड़ रहा हूं। अब समय आ गया है कि लोगों को बताया जाए। लोकसभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा। प्रधानमंत्री को सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित।” उन्हें बिहार वापस आते ही हालत खराब हो गई थी। उन्होंने अचानक गिरने के साथ ही शुरूआत में इस्तीफा दिया था। इसके बाद उनके निवास पर बीजेपी के कई प्रमुख सांसद मिलने के लिए पहुंचे थे, लेकिन परिजनों ने तस्वीरें लेने से मना कर दिया थ
सुशील मोदी बीजेपी आंदोलन के वरिष्ठ नेता थे
सुशील मोदी, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद जेपी आंदोलन के बाद उभरे तीन नेताओं में से एक थे। सुशील मोदी ने अपनी शिक्षा ग्रहण करते ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ लिया था। 1971 में उन्होंने छात्र संगठन में राजनीतिक क्रियाकलाप शुरू किया था। बाद में युवा नेता के रूप में उनकी पहचान विश्वविद्यालय से होते हुए राज्य की राजनीति तक पहुंची। 1990 में उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बने। इसके बाद उनका राजनीतिक करियर तेजी से बढ़ता चला गया।
2004 के लोकसभा चुनाव में सुशील मोदी भाजपा के टिकट पर भागलपुर से सांसद बने। 2005 में उन्होंने संसद सदस्यता से इस्तीफा दिया और बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री बने। विधान परिषद तब से वह विधान परिषद् के ही सदस्य थे। सुशील मोदी 2005 से 2013 और 2017 से 2020 तक बिहार के वित्त मंत्री रहे। वर्ष 2020 में जब बिहार में फिर से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहते थे कि सुशील मोदी ही डिप्टी सीएम बनें। लेकिन, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। कैंसर की घोषणा करते समय तक राज्यसभा सांसद ही थे। पिछले महीने ही उनका कार्यकाल भी समाप्त हो गया था।