मराठा आरक्षण पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं में लापरवाही से भरी दलीलें दी गईं हैं। अदालत ने इस बात चिंता जताई है। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय, न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी और फिरदौस पूनीवाला की पीठ ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है। अदालत ने कहा इससे राज्य की एक बड़ी आबादी पर असर पड़ेगा, इसलिए याचिकर्ताओं को याचिका दायर करते समय कई बातों का ध्यान रखना होगा।
आपको बता दें कि मराठा आरक्षण को लेकर कई याचिकाकर्ताओं ने महाराष्ट्र सरकार के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई हैं। इस आरक्षण के तहत मराठा समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरी और शिक्षा क्षेत्र में दस फीसदी आरक्षण देने की बात कही गई है।
कुछ याचिकाओं में महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन पर सवाल उठाए गए हैं। बता दें कि इस आयोग का नेतृत्व न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) सुनील शुक्रे कर रहे हैं। आयोग की रिपोर्ट में मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण प्रदान करने की बात कही गई है। आपको बता दें कि उच्च न्यायालय की पीठ ने बीते शुक्रवार को सभी याचिकाओं पर सुनवाई की थी।
याचिकाओँ में लापरवाही से भरी दलीलें- उच्च न्यायालय
सोमवार को अदालत में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘मुझे यह कहते हुए बड़ा दुख हो रहा है कि कुछ याचिकर्ताओं ने अपनी याचिकाओँ में लापरवाही से भरी दलीलें दीं हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है और राज्य की आबादी के एक बड़े हिस्से पर इसका असर पड़ने वाला है। आप सभी को याचिका में दलीलें देते वक्त बेहद सावधान रहना होगा।’ अदालत ने कहा है कि इस मामले में मंगलवार को याचिका में दी गई दलीलों पर सुनवाई होगी।