प्रदूषण के मुद्दे पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त तेवर दिखाएं हैं। वायु गुणवत्ता सूचकांक के हानिकारक स्तरों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अधिकारियों के ढीले रवैये पर हाईकोर्ट नाराज है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा, अधिकारियों ने इसके लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
पीठ ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार, केंद्र सरकार, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी), महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को नोटिस जारी किया। साथ ही कहा कि ये बताएं की उन्होंने समस्या के समाधान के लिए आखिर क्या किया है। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने मुंबई में वायु प्रदूषण पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अपने आदेश में यह टिप्पणी की। अगली सुनवाई 6 नवंबर के लिए टाल दी है।
बुधवार को उपलब्ध कराए गए अपने विस्तृत आदेश में मीडिया रिपोर्टो का हवाला दिया गया और कहा गया कि पिछले 15 से 20 दिनों में मुंबई में AQI 150 (मध्यम) और 411 (गंभीर) के बीच रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएमसी ने मुंबई में वायु प्रदूषण को कम करने और/या कम करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन AQI के स्तर में सुधार नहीं हुआ है ताकि इसे स्वस्थ सीमा के भीतर लाया जा सके। अदालत ने इस मामले में महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ की सहायता मांगी और वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा को एमिकस क्यूरी (अदालत की सहायता के लिए) के रूप में पेश होने का भी निर्देश दिया।