पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को आखिर डॉक्टरों के भारी विरोध के बाद झुकना पड़ा है। बता दें कि ममता सरकार ने राज्य के कई सरकारी अस्पतालों के 43 डॉक्टरों और 190 महिला सहायकों के तबादला आदेश को वापस ले लिया है। जानकारी के मुताबिक इन तबादलों में अकेले आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के 10 डॉक्टर शामिल थे।
बता दें कि राज्य स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार शाम को अधिसूचना जारी कर दूरदराज के जिलों में सबका तबादला कर दिया था। राज्य में विपक्षी भाजपा सहित डॉक्टरों के एसोसिएशन ने शनिवार को इसका कड़ा विरोध किया था। राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम ने दावा किया कि यह नियमित तबादला था। दो महीने पहले ही इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई थी।
वहीं इस मामले में पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव नारायण स्वरूप निगम ने कहा कि आज डॉक्टरों के तबादले की खबर छप रही है। हमारे पश्चिम बंगाल सरकार के पास लगभग 24 मेडिकल कॉलेज हैं। इसके अलावा कई विशेष संस्थान हैं, जिनमें 6000 से ज्यादा डॉक्टर हैं। पश्चिम बंगाल में मेडिकल एजुकेशन सर्विस की प्रमोशनल एक्सरसाइज, उनकी रूटीन ट्रांसफर एक्सरसाइज एक बहुत लंबी प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया इस घटना से 2 महीने पहले शुरू हुई थी। इसकी स्वीकृति भी इस घटना से कई दिन पहले ही हो गई थी। लेकिन हमें इस पर बहुत सारी जांच करनी है। इसलिए हो सकता है कि इसके प्रकाशन में देरी हो गई हो। लेकिन अभी यहां की स्थिति को देखते हुए हमें हर जगह सेवा को पूरी तरह से सामान्य रखना है। इसलिए हमने अभी इस आदेश को रद्द कर दिया है। इसके बाद इस बारे में कोई भी आगे का फैसला कुछ दिनों बाद लिया जाएगा।
पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य विभाग की तरफ के डॉक्टरों के तबादले पर कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. इंद्रनील बिस्वास ने कहा, हमें एक आदेश मिला है और यह एक नियमित आदेश (स्थानांतरण का) है। हर वरिष्ठ डॉक्टर अनुकंपा पर निर्भर है। हमारे मेडिकल कॉलेज में, कुछ विभागों में शिक्षकों की संख्या कम है। इसलिए हमने पहले ही कुछ प्रतिस्थापन के लिए कहा है। निर्धारित चिकित्सा पाठ्यक्रमों के 42 से अधिक डॉक्टरों का तबादला किया गया है। यह एक सतत प्रक्रिया है।