संपादक की कलम से….
जब पिछले वर्ष कोरोना काल में श्रमिक उत्थान संस्था के माध्यम से अध्यक्ष / संपादक रवि निगम द्वारा केंद्र/राज्य सरकार को सुझाव प्रेषित किया गया था जिसमे साफ-साफ उल्लेख था यदि कोरोना में काबू पाना है तो लॉकडाऊन को पूरी तरह से हटाना उचित कदम नहीं होगा, माना लॉकडाऊन से देश की अर्थव्यवस्था चरमरा रही थी जिसके चलते लॉकडाऊन हटाने के सिवाय दूसरा विकल्प सरकार के पास नहीं था।
लेकिन यदि कोरोना काल का वो दौर याद हो जब 24 मार्च को सम्पूर्ण देश में लॉकडाऊन लगा दिया गया था तब उस वक्त जब हजार के करीब मामले हो गये थे, लोगों को लॉकडाऊन से निपटने तक का भी मौका नहीं दिया गया और आनन-फानन में घोषणा करके देशवासियों को घरों में और प्रवासियों और तीर्थ यात्रा या घर से दूर व्यक्तियों को वहीं का वहीं कैद कर दिया गया, इतना ही नहीं प्रधानमंत्री जी ने तो ये भी घोषणा कर दी थी कि यदि इस वर्ष फसल नहीं भी हुई तो हमारे पास खाद्य का भण्डार है जो जहाँ है वो वहीं बना रहे
निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें
तो क्या सरकार के पास कोई विकल्प था ? कि वो उन्हे उनके जनपद तक पहुँचाने में कारगर साबित होती बल्कि वो विषम व गंभीर स्थिति सामने थी कि सरकार को बगलें झांकनी पड रही थीं कि नहीं ? क्या कोई कारगर कदम उठाने की स्थिति में थी सरकार ? तो सायद नहीं, तब उस समय जो प्रवासी मजदूर और अन्य के लिये जो कारगर उपाय सुझाये गये क्या उसमे कोई त्रुटि निकली या उपाय असफल हुआ क्या ? नहीं, उसका लाभ किसने उठाया पार्टी के झण्डे किसने लहराये क्या वो जनता भूल सकती है कभी जिसे पलायन करने पर मजबूर होना पडा था यहाँ तक कि जांन भी गवाँनी पडी थी, क्या उसका श्रेय रवि निगम को दिया गया या रवि निगम ने उसका श्रेय आपसे मांगा क्या ? नहीं…
अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
कम से कम महाराष्ट्रा सरकार ने इतना तो श्रेय दिया कि प्रत्येक पत्र की प्राप्ति व उसके क्रियान्वन की जानकारी जवाबी ईमेल के जरिये प्रदान की गयी, ये मा. मुख्यमंत्री के निष्ठा को उजागर करती है कि नहीं ? लेकिन जब मा. प्रधानमंत्री जी को दूसरे अन्य सुझाव जैसे बिना लॉकडाऊन हटाये देश की अर्थ व्यवस्था को गति देते हुये सभी प्रतिष्ठानों को शुरू रखते हुये फालतू की भीड पर लॉकडाऊन जारी रखना इतना ही नहीं टेस्टिंग की संख्या को घटाने की जगह बढाने की भी सलह, बिना पुख्ता जानकारी के जिम्मेदार पद पर आसीन लोगों द्वारा ये ऐलान करना कि कोरोना फरवरी में पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा, जिस पर टिप्पणी करके विशिष्ठजनों अर्थात मा. प्रधानमंत्री से इस पर स्पष्टीकरण देने की बात रखना आदि, जिस पर प्रधानमंत्री जी ने साफ किया “कि जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं!”
इतना ही नहीं इस विषय को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी और देश के विपक्षी दल के नेता व राष्ट्रपति के भी समक्ष रखा गया लेकिन सायद उनके पद और प्रतिष्ठा के आगे ये सुझाव बौना सा पड गया, लेकिन कहते है कि राजनीति में जुमले से बहुत कुछ उलट-पलट किया जा सकता है लेकिन हकीक़त को नहीं तो वैसे ही जुमले से कोरोना को भी न तो नियंत्रित किया जा सकता है न ही खत्म, उसके लिये कारगर उपाय और राजनीतिक इच्छा शक्ति से ऊपर उठ सामाजिक व मानवीय इच्छा शक्ति की आवश्यकता है, यदि किसी भी सोंच के पीछे कोई निजी या राजनैतिक स्वार्थ छिपा होता है तो वो कभी भी पूर्ण नहीं किया जा सकता है
‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें
आज देश के राष्ट्रपति हों या सुप्रीम कोर्ट, कोई भी कोरोना की मार से अछूता नहीं रहा, यदि समय रहते इन सभी सुझावों पर भी अमल किया गया होता तो आज देश को वापस इससे फिर झूझना नहीं पड रहा होता, क्या प्रवासी या अन्य के लिये कारगर उपाय के साथ ट्रेन को चालाने, या मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को काम देने और कृषि कार्य को इसके तहत समय रहते पूर्ण कराने के उचित सुझाव से लाभ मिला कि नहीं ? कोरोना में हर सेक्टर की कमर टूट गयी लेकिन जिस सुझाव पर अमल किया गया तो उसने कोरोना काल में भी अपना ग्राफ ऊँचा किया कि नहीं ? तो क्योंकर बाकी विषयों पर अमल करने की इच्छा शक्ति जागृत नहीं हो रही ? ऐसा कौन सा कारण है जो ऐसा न करने पर मजबूर कर रहा है ? तो फिर इस समस्या का सबसे बडा दोषी कौन ? कौन है इन मौंतो का जिम्मेदार ? बतायें मेरे हुज़ूर बतायें मेरे सरकार….!!
कोरोना वायरस का दानव
कोरोना वायरस का दानव लगातार अपना आकार बढ़ाता जा रहा है, सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए पिछले 24 घंटे के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में 1,68,912 नए कोरोनावायरस केस दर्ज किए गए हैं, जो एक दिन में रिकॉर्ड हुए केसों का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है. इसके अलावा, पिछले 24 घंटों के दौरान देश में 904 मरीज़ों की इस घातक संक्रमण की वजह से मौत भी हुई है.
देश में अब तक दर्ज हुए कुल कोविड केसों की तादाद 1,35,27,717 हो गई है वहीँ कोरोना से मरने वालों की संख्या 1,70,179 हो गई है. पिछले आठ दिन में देश में नए केसों का आंकड़ा सातवीं बार एक लाख के पार गया है, और यह लगातार छठा दिन है, जब कोरोनावायरस के एक लाख से ज़्यादा मामले दर्ज हुए हैं.
देश में उपचारित मरीज़ों की संख्या अब 12 लाख से ज़्यादा है. सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर में इस वक्त 12,01,009 मरीज़ों का इलाज जारी है. कोरोनावायरस के खिलाफ जारी वैक्सीनेशन अभियान जारी है, सोमवार सुबह जारी आंकड़ों के मुताबिक, रविवार को पूरे देश में 29,33,418 डोज़ लगाई गईं, जिनके साथ भारत-भर में अब तक कुल 10,45,28,565 कोरोना वैक्सीन डोज़ लगाई जा चुकी हैं.