इन दिनों कांग्रेस का विकल्प बनने में जुटी TMC प्रमुख ममता बनर्जी के मंसूबे फलीभूत होते नहीं दिख रहे हैं. महाराष्ट्र में शिव सेना के बाद अब झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा से भी ममता को मायूसी हाथ लगी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी कहा है कि वे तृणमूल के बजाय कांग्रेस को तरजीह देंगे.
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बता दें कि ममता बनर्जी के मुंबई दौरे के दौरान ‘यूपीए का अस्तित्व नहीं’ के बयान की शिव सेना ने कड़ी आलोचना की थी. ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए शिवसेना ने कहा था कि देश की सबसे पुरानी पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति से अलग रखकर और इसके बगैर संप्रग के समानांतर विपक्षी गठबंधन बनाना सत्तारूढ़ बीजेपी और ‘‘फासीवादी’’ ताकतों को मजबूत करने के समान है. जो लोग बीजेपी से लड़ रहे हैं, अगर उनका भी मानना है कि कांग्रेस का अस्तित्व खत्म हो जाना चाहिए तो यह रुख ‘‘सबसे बड़ा खतरा’’है. इसने कहा कि अगर विपक्षी दलों में एकता नहीं होगी तो बीजेपी का राजनीतिक विकल्प बनाने की बात बंद कर देनी चाहिए.
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बता दें कि झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड में यूपीए की सबसे शक्तिशाली पार्टी है. सोरेन पड़ोसी राज्य में कांग्रेस और राजद के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं. उन्होंने हाल ही में संपन्न पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी के लिए समर्थन दिया था. बंगाल विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारा था, जबकि कांग्रेस ने फिर वामपंथियों से हाथ मिला लिया, लेकिन विधानसभा चुनाव के विपरीत अब झारखंड मुक्ति मोर्चा साल 2024 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को दरकिनार करते हुए, ममता बनर्जी जिस समानांतर गठबंधन की बात कर रही है, उसमें उसे ज्यादा दिलचस्पी नहीं है.
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हालांकि, ममता बनर्जी अभी भी खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुख्य विपक्षी दल के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही हैं. इसके लिए वह अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ नया समीकरण बनाने की कोशिश कर रही है.