एलपीजी यानी रसोई गैस सिलेंडर के दाम 1000 रुपए के पार जा चुके हैं, उसी दौरान जानकारी सामने आई है कि मोदी सरकार ने भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के निजीकरण की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी है। इसके पीछे दो वजहें बताई जा रही हैं, एक तो तेल बाजार में अस्थिरता और दूसरी बेहद जटिल कर प्रणाली यानी टैक्स रिजीम। बता दें कि भारत की बीपीसीएल में करीब 50,000 करोड़ रुपए की हिस्सेदारी है।
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इस विषय में एक ट्रेड यूनियन लीडर ने बताया कि बीपीसीएल में हिस्सेदारी खरीदने के लिए दो कंपनियों अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट और आई स्क्वायर कैपिटल एडवाइजर ऐन मौके पर नीलामी प्रक्रिया से अलग हो गए। सूत्रों के मुताबिक इन दोनों कंपनियों को ऐसा लगा कि नीलामी में बोली लगाना फायदे का सौदा नहीं रहेगा।
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ट्रेड यूनियन का कहना है कि इन दो कंपनियों के पीछे हटने के कारण सरकार को मजबूरी में बीपीसीएल के निजीकरण से हाथ खींचने पड़े। ट्रेड यूनियन नेता ने कहा, “मोदी सरकार द्वारा घरेलू ईंधन बाजार में अस्थिरता खत्म करने की नाकामी और किसी भी सौदे के लिए जरूरी बेहद जटिल कर प्रणाली के चलते बीपीसीएल का निजीकरण अंजाम को नहीं पहुंच सका।”
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दो कंपनियों के नीलामी से अलग होने के बाद सिर्फ अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाला वेदांता ग्रुप ही नीलामी में शामिल होने वाली कंपनी रह गई थी, ऐसे में मोदी सरकार ने निजीकरण का फैसला फिलहाल टाल दिया।