Mahua Moitra: संसद के शीतकालीन सत्र का आज पांचवा दिन है। आज कतर में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा पर चर्चा हो सकती है। वहीं, दिल्ली में लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण का मामला भी आज सदन में उठ सकता है।
महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘किसी तरह की रकम या तोहफा लेने का कोई सबूत नहीं है। आचार समिति इस मामले की जांच की तह तक नहीं गई। मोदी सरकार को लगता है कि मुझे चुप कराकर वह अदाणी के मुद्दे से ध्यान भटका देगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा।’
महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित किया गया। 54 दिन बाद उनकी सांसदी चली गई। लोकसभा स्पीकर ने कहा कि महुआ का आचरण अनैतिक है।
भाजपा सांसद अपराजिता सांरगी ने कहा, ‘हम सिद्धांतों की बात कर रहे हैं। सभी को बोलने का समय दिया। तब ये वॉक आउट कर गईं। असंवैधानिक शब्दों का इस्तेमाल किया।’
एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट को लेकर जैसे ही लोकसभा में चर्चा हुई तो टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने अनुरोध किया कि महुआ मोइत्रा को सदन के समक्ष अपना पक्ष रखने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा, ‘मैं प्रस्ताव रखता हूं, मेरी पार्टी की प्रवक्ता खुद महुआ मोइत्रा होंगी क्योंकि आरोप उनके खिलाफ है। अनर्गल आरोप लगाए गए हैं, चाहे यह सच हो या गलत, इन्हें उन्हें बोलने दीजिए।’
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर आचार समिति की रिपोर्ट कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी कहते हैं, ‘जैसा कि अधीर रंजन ने कहा अगर हमें इस रिपोर्ट का संज्ञान लेने और फिर सदन के समक्ष अपनी राय रखने के लिए 3-4 दिन का समय दिया गया होता तो आसमान नहीं टूट पड़ता क्योंकि यह एक बहुत ही संवेदनशील मामले पर निर्णय लेने जा रहा है। क्या आचार समिति की प्रक्रिया प्राकृतिक न्याय के मौलिक सिद्धांत को दरकिनार कर सकती है, जो दुनिया की हर न्याय प्रणाली का संगठनात्मक सिद्धांत है? अखबार में हमने जो पढ़ा, उसके अनुसार जिसे आरोपी बनाया गया है, वह अपना बयान पूरा नहीं दे पाई। यह किस तरह की प्रक्रिया है?’