पीएफआई से जुड़े एक मामले में छापेमारी कर रही एनआईए की एक टीम को बुधवार को उपनगर विक्रोली में एक व्यक्ति के घर के बाहर इंतजार करना पड़ा। व्यक्ति ने छह घंटे से ज्यादा समय तक दरवाजा नहीं खोला।
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार यात्रा के दौरान व्यवधान पैदा करने से जुड़े एक मामले में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ देश के छह राज्यों में कई स्थानों पर छापेमारी की थी।
मुंबई पुलिस के साथ एनआईए की एक टीम सुबह करीब पांच बजे विक्रोली के पार्कसाइट स्थित अब्दुल वाहिद शेख के आवास पर पहुंची, जो पहले 7/11 ट्रेन विस्फोट मामले में आरोपी था। लेकिन शेख ने छह घंटे से अधिक समय तक दरवाजा नहीं खोला और अधिकारियों को बाहर इंतजार कराया।
उन्होंने बताया कि घर के अंदर से शेख ने एनआईए अधिकारियों से पूछा कि क्या उनके पास तलाशी वारंट है। उन्होंने बताया कि अपने वकील और कुछ स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं के मौके पर पहुंचने के बाद उसने सुबह करीब सवा 11 बजे दरवाजा खोला।
अधिकारी ने कहा, इसके बाद एनआईए की टीम उसके आवास में घुसी और पीएफआई से संबंधित मामले के संबंध में अपनी जांच शुरू की। उन्होंने बताया कि शेख के आवास के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने उनके घर की तलाशी पांच घंटे से अधिक समय तक चली।
शेख ने इससे पहले व्हाट्सएप पर एक वीडियो संदेश पोस्ट किया था, जिसमें कहा गया था कि पुलिस और कुछ लोग सुबह पांच बजे से ही उनके आवास के बाहर एकत्र हो गए हैं। उन्होंने कहा, वे मेरे घर में घुसना चाहते हैं, उन्होंने एक दरवाजा तोड़ दिया और मेरे घर के सीसीटीवी कैमरे को क्षतिग्रस्त कर दिया। वे मुझे मामले से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं दिखा रहे हैं और न ही कोई प्राथमिकी दिखा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैंने खुद को और अपने परिवार के सदस्यों को पिछले तीन घंटे से आवास के अंदर बंद कर रखा है, मेरी पत्नी और बेटी अस्वस्थ हैं। मैंने इस संबंध में पुलिस और मुंबई पुलिस आयुक्त से शिकायत की है।’ तलाशी अभियान और पूछताछ के बाद एनआईए की टीम शाम करीब साढ़े चार बजे शेख के आवास से रवाना हुई।
शेख ने घर के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘मैंने एनआईए टीम के अभियान के दौरान सहयोग किया। मेरा पीएफआई से कोई संबंध नहीं है और एनआईए की टीम को मेरे आवास से कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला।’ उन्होंने कहा, ‘एनआईए को मुझे झूठे मामले में नहीं फंसाए, इसीलिए मैंने अपने वकीलों को बुलाया और जो कुछ भी उन्होंने मुझे करने के लिए कहा, वह किया… मैं सावधान रह रहा हूं ताकि मुझे झूठे मामले में न फंसाया जाए जैसा कि पहले हुआ है।’
वहां मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता और मॉडर्न हाई स्कूल के अध्यक्ष आलम खान ने कहा, ‘एनआईए अधिकारियों के पास यह दिखाने के लिए पर्याप्त दस्तावेज नहीं थे कि उन्हें शेख के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया गया है, इसलिए हमने उनसे ईमेल के माध्यम से एक दस्तावेज दिखाने के लिए कहा जिसमें उसके नाम का जिक्र हो।’
उन्होंने कहा, ‘इसके बाद एनआईए के लखनऊ कार्यालय ने शेख के नाम का जिक्र करते हुए एक ईमेल भेजा, जिसके बाद एनआईए की टीम को सुबह 11.15 बजे तलाशी लेने के लिए उसके आवास में प्रवेश करने की अनुमति दी गई।’ शेख के रिश्तेदार जकीरा शेख जावेद ने कहा कि ट्रेन विस्फोट मामले में आरोपी के रूप में नामित होने के बाद शेख पहले ही अपने जीवन के कई साल गंवा चुकें हैं, जिसमें उन्हें बाद में बरी कर दिया गया था। उन्होंने कहा, अब एनआईए के अधिकारी उन्हें परेशान कर रहे हैं।
शेख को 7/11 ट्रेन विस्फोट मामले में आरोपी बनाया गया था, लेकिन बाद में एक अदालत ने उसे बरी कर दिया था। 11 जुलाई, 2006 को शहर की लोकल ट्रेनों की पश्चिम लाइन पर विभिन्न स्थानों पर 15 मिनट के भीतर सात विस्फोटों की सूचना मिली थी, जिसमें 180 से अधिक लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे।