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Friday, May 3, 2024

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RTI के तहत अदालत की संरचना से जुड़ी सूचना नहीं, जजों की जान पर खतरा ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक करने से

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत अदालत की संरचना की ऑडिट रिपोर्ट मुहैया कराने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि आरटीआई के तहत संरचनात्मक ऑडिट की जानकारी देने से न्यायाधीशों और अदालत में काम करने वाले अन्य अधिकारियों के जीवन को खतरा हो सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक बंबई उच्च न्यायालय के सार्वजनिक सूचना अधिकारी ने दक्षिण मुंबई में अदालत की विरासत इमारत के संरचनात्मक ऑडिट के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया। सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत पर्यावरण कार्यकर्ता ज़ोरू बथेना ने पिछले महीने एक आरटीआई आवेदन दायर किया था। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट की मुख्य और एनेक्सी इमारतों के लिए पिछले तीन संरचनात्मक ऑडिट की प्रतियां मांगी थीं।

बथेना ने कहा कि उन्होंने दक्षिण मुंबई के मालाबार हिल में 135 साल पुराने जलाशय के पुनर्निर्माण के बारे में एक अन्य मामले में उपयोग करने के लिए जानकारी मांगी थी। उन्होंने कहा, “बृहन्मुंबई नगर निगम ने दावा किया कि जलाशय मरम्मत के लायक नहीं है और इसका पुनर्निर्माण करने की जरूरत है।” बथेना के अनुसार, वे  उच्च न्यायालय भवन और बीएमसी के मुख्यालय भवन का उदाहरण देना चाहते थे, जो एक शताब्दी से अधिक पुराने हैं, लेकिन मरम्मत और पुनर्निर्माण नहीं कराया जा रहा है।

कार्यकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने बीएमसी भवन की संरचनात्मक ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी और उन्हें जानकारी मुहैया कराई गई, लेकिन उच्च न्यायालय ने बिल्डिंग की ऑडिट रिपोर्ट प्रदान करने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी ने बीते एक नवंबर को दिए जवाब में बथेना का आवेदन खारिज कर दिया। सूचना अधिकारी के मुताबिक मांगी गई जानकारी का बड़ी सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं है। ऐसे में सूचना प्रदान नहीं की जा सकती।

सूचना अधिकारी ने अपने जवाब में कहा, “मांगी गई जानकारी को सुरक्षा उद्देश्यों के लिए प्रकटीकरण से छूट दी गई है। ऐसी सूचना के प्रकटीकरण से माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीशों और अधिकारियों के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है।”

आरटीआई आवेदन पर जवाब में सूचना अधिकारी ने कहा, संबंधित विभाग ने संरचनात्मक ऑडिट रिपोर्ट की सूचनाएं “विश्वसनीय संबंध” (fiduciary relationship) में रखी है। ऐसी संवेदनशील जानकारी की गोपनीयता का संरक्षण जरूरी था। उन्होंने कहा, आवेदन में कोई बड़ा सार्वजनिक हित प्रदर्शित नहीं किया गया है। इसलिए, सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 (1) (ई) के तहत प्रकटीकरण से छूट के मद्देनजर मांगी गई जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता है।”

बथेना ने कहा कि हाईकोर्ट से मिले जवाब के बाद अब वे संबंधित अपीलीय प्राधिकारी के पास अपील दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि जानकारी प्रदान करने से इनकार करने और सूचना अधिकारी के जवाब से वे संतुष्ट नहीं हैं। बिल्डिंग की संरचनात्मक ऑडिट की रिपोर्ट से जजों की जान खतरे में पड़ने की कोई आशंका नहीं है।

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