सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने केंद्र से न्यायमूर्ति श्री चंद्रशेखर को झारखण्ड उच्च न्यायालय से राजस्थान उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की सिफारिश की है। कॉलेजियम में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरूद्ध बोस भी शामिल थे, जिन्होंने 29 दिसंबर को हुई बैठक में यह फैसला लिया था।
कॉलेजियम ने मुताबिक, 29 दिसंबर, 2023 को एक संचार द्वारा झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रशेखर ने झारखंड उच्च न्यायालय से अपने स्थानांतरण के लिए अनुरोध किया था। कॉलेजियम ने कहा कि उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए कॉलेजियम यह सिफारिश करने का निर्णय लेता है कि श्री न्यायमूर्ति श्री चन्द्रशेखर को राजस्थान उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए।
जानिए क्या होता है कॉलेजियम
दरअसल, कॉलेजियम हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति की एक व्यवस्था है। ये व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट ने खुद तय की है। इसके अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और जजों के ट्रांसफर पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और चार अन्य सबसे सीनियर जजों का समूह फैसला लेता है। इसी तरह हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश उस हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और दो सबसे सीनियर जजों का समूह करता है। इन सिफारिशों की समीक्षा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और दो सबसे सीनियर जज करते हैं। इसके बाद ये नाम राष्ट्रपति के पास जाता है। जजों के समूह यानी कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशों को सरकार राष्ट्रपति के पास भेजती है। इन सिफारिशों को मानना राष्ट्रपति और सरकार के लिए अनिवार्य होता है। सरकार चाहे तो कॉलेजियम से एक बार ये अनुरोध कर सकती है कि वह अपनी सिफारिश पर पुनर्विचार करे, लेकिन कॉलेजियम ने वही सिफारिश फिर से भेज दी, तो सरकार के लिए उसे मंजूर करना जरूरी होता है। यानी कॉलेजियम सिस्टम में सरकार की भूमिका सलाह देने या अपनी असहमति जताने तक सीमित है। इसे मानना या न मानना जजों के समूह के हाथ में है।