लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा आदेश देते हुए कहा कि मामले की जांच की निगरानी उत्तर प्रदेश से बाहर के हाईकोर्ट के किसी पूर्व जस्टिस को सौंपी जाय. चीफ जस्टिस एनवी रमना के नेतृत्व में बनी पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को विशेष जांच दल से जांच की निगरानी के लिए हाईकोर्ट के दो पूर्व जजों के नाम भी सुझाए हैं, जिसे लेकर राज्य सरकार को सोमवार तक फैसला लेना है.
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सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना की पीठ ने लखीमपुर खीरी घटना की SIT जांच की निगरानी के लिए पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज रंजीत सिंह या राकेश कुमार जैन का सुझाव दिया. पीठ ने इन दोनों में से किसी एक नाम पर मुहर लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को सोमवार तक का समय दिया. गौरतलब है कि लखीमपुर घटना में चार किसानों की कार से कुचले जाने से किसानों की मौत हो गई थी. इस घटना में एक पत्रकार की भी मौत हुई थी.
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उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पीठ को बताया कि अदालत के निर्देश के तहत सुझाए गए नामों पर राज्य सरकार सोमवार तक मुहर लगा देगी. अदालत ने SIT की जांच में निष्पक्षता, पारदर्शिता और विश्वास जगाने के लिए एक रिटायर्ड जज की नियुक्ति का सुझाव दिया था. सोमवार को इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच को अपेक्षा के अनुरूप नहीं बताया था. इसके बाद ही इसने एक रिटायर्ड जज से हर रोज SIT जांच की निगरानी कराने की मांग की थी.
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गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कुचल दिया. इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई. किसान नेताओं ने दावा किया है कि उस वाहन में आशीष भी थे, जिसने प्रदर्शनकारियों को कुचला था, लेकिन मंत्री ने आरोपों से इनकार किया है.