सुप्रीम कोर्ट दिल्ली और अन्य शहरों के पुलिस प्रमुखों की नियुक्ति से संबंधित कानूनी मुद्दों पर एक बार और सभी के लिए फैसला करेगा। शीर्ष अदालत ने सोमवार को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह इस कानूनी मुद्दे पर एक बार फिर फैसला करेगा कि क्या राज्यों में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया तय करने संबंधी शीर्ष अदालत के पहले के फैसले दिल्ली और अन्य शहरों पर भी लागू होंगे?
शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना के मामले में कहा कि जहां तक अस्थाना की नियुक्ति से संबंधित याचिकाओं की बात है तो अब जबकि वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं ऐसे में ये याचिकाएं बेकार हो गई हैं। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले को अगली सुनवाई के लिए अप्रैल में सूचीबद्ध किया है। इस पीठ में न्यायमूर्ति पी.एस.नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला भी शामिल हैं।
साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि भले ही आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना रिटायर हो गए हैं बावजूद इसके दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के एक हिस्से पर गौर किए जाने की जरूरत है क्योंकि उसके आवर्ती प्रभाव हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि प्रकाश सिंह मामले में शीर्ष अदालत का फैसला केवल राज्य के पुलिस महानिदेशकों पर लागू होता है और दिल्ली जैसे शहरों तथा पुलिस आयुक्त के चयन पर नहीं।
हाई कोर्ट ने एनजीओ ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (सीपीआईएल) की याचिका को खारिज कर दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि प्रकाश सिंह मामले में शीर्ष अदालत का फैसला दिल्ली के पुलिस आयुक्त की नियुक्ति के लिए लागू नहीं था। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत के फैसले में कुछ पुलिस अधिकारियों के लिए न्यूनतम कार्यकाल और चयन से पहले यूपीएससी का एक पैनल का गठन करना अनिवार्य किया गया था।
सुनवाई के दौरान एनजीओे सीपीआईएल का पक्ष रख रहे वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि जब तक दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले से उत्पन्न इस मुद्दे से निपटा नहीं जाता है यह बार-बार सामने आता रहेगा। इस पर सीजेआई ने कहा कि हम एक बार में हमेशा के लिये इसका फैसला करेंगे।