तृणमूल कांग्रेस की तरफ से संसदीय समितियों के गठन में देरी का दावा करने के कुछ दिनों बाद, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को कहा कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ने अभी तक समितियों के लिए अपने प्रत्याशियों की जानकारी साझा नहीं की है।
टीएमसी केवल खबरों में बने रहना चाहती है- रिजिजू
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए संसदीय कार्य मंत्री रिजिजू ने कहा कि सरकार पर सवाल उठाने वालों की इच्छा केवल खबरों में बने रहने की है। दरअसल टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा था कि 18वीं लोकसभा के गठन के 100 दिन बाद भी संसदीय समितियों का गठन नहीं हुआ है।
इस तरह से होता है संसदीय समितियों का गठन
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श के बाद लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति के कार्यालयों को संसदीय समितियों के आवंटन के बारे में विवरण भेजा है। मंत्री ने कहा कि संसदीय समितियों की अध्यक्षता संसद में प्रत्येक राजनीतिक दल की संख्या के आधार पर तय की जाती है। इस संबंध में परामर्श संसदीय कार्य मंत्रालय की तरफ से किया जाता है और परिणाम लोकसभा और राज्यसभा के पीठासीन अधिकारियों को सूचित किया जाता है, जो उसके बाद समितियों के गठन की अधिसूचना देते हैं। 24 विभाग-संबंधित स्थायी समितियों में से 16 की अध्यक्षता लोकसभा के सदस्य करते हैं और आठ की अध्यक्षता राज्यसभा के सदस्य करते हैं।
टीएमसी की रवैए पर जमकर बरसे केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय मंत्री ने कहा, हमने राजनीतिक दलों को समितियों की अध्यक्षता के आवंटन के बारे में भी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि संबंधित राजनीतिक दलों को समितियों की अध्यक्षता करने वाले नेताओं के नामों के बारे में संसद सचिवालय को सूचित करना होगा। किरेन रिजिजू ने कहा, सभी दलों ने अपने नेताओं के नाम बता दिए हैं। जिन लोगों ने नाम नहीं दिए हैं, वे समितियों के गठन में देरी पर सवाल उठा रहे हैं।
‘समितियों का गठन सितंबर के अंत तक होता रहा है’
उन्होंने कहा कि 2004 से विभाग-संबंधित स्थायी समितियों का गठन सितंबर के अंत तक किया जाता रहा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, अगर हम एक साल तक समितियों का गठन नहीं करते हैं, तो हमसे सवाल करें। तीन वित्तीय समितियां – लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति और सार्वजनिक उपक्रम समिति – गठित कर दी गई हैं और उन्होंने काम करना शुरू कर दिया है। मंत्री ने कहा कि कई मंत्रालयों की परामर्शदात्री समितियों और संसद की तदर्थ समितियों का भी जल्द ही गठन किया जाएगा।