30 C
Mumbai
Tuesday, November 19, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

कल फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट नोटबंदी के खिलाफ याचिकाओं पर, यह दलीलें विपक्ष और सरकार ने दी थी

साल 2016 में मोदी सरकार ने एक हजार रुपये और पांच सौ रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था। सरकार के उस फैसले की खूब आलोचना भी की गई थी। इतना ही नहीं, सरकार के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नें कई याचिकाएं भी दाखिल की गई थीं। अब उन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट दो जनवरी 2023 को फैसला सुना सकती है। गौरतलब है कि कल से ही शीतकालीन अवकाश के बाद शीर्ष अदालत फिर से खुलेगी। 

नोटबंदी के खिलाफ याचिकाओं पर न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ दो जनवरी को अपना फैसला सुना सकती है। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ 4 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रही है। शीर्ष अदालत की सोमवार की वाद सूची के अनुसार, इस मामले में दो अलग-अलग फैसले होंगे, जो न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना द्वारा सुनाए जाएंगे। यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों निर्णय सहमति या असहमति के होंगे

फैसला रख लिया था सुरक्षित
इससे पहले शीर्ष अदालत ने सात दिसंबर को केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को निर्देश दिया था कि वे 2016 के फैसले से संबंधित सारे रिकॉर्ड उनको सौंपे। इसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई, ए एस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यन और बी वी नागरत्ना भी शामिल हैं। उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान सहित आरबीआई के वकील और याचिकाकर्ताओं के वकीलों, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की दलीलें सुनी थीं।

58 याचिकाओं के बैच पर हुई सुनवाई
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 नवंबर, 2016 को केंद्र द्वारा घोषित नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई की है। इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान 500 रुपये और 1,000 रुपये के करेंसी नोटों को बंद करने को गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण बताते हुए वरिष्ठ वकील चिदंबरम ने तर्क दिया था कि सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है। ये केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है।

वहीं, 2016 की नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के शीर्ष अदालत के प्रयास का विरोध करते हुए सरकार ने कहा था कि अदालत ऐसे मामले का फैसला नहीं कर सकती है जब ‘घड़ी को पीछे करने’ से कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here