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Friday, November 22, 2024

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कृत्रिम तरीके से आम पकाने वालों के खिलाफ सख्त हुआ FSSAI, अधिकारियों को दिए कार्रवाई के निर्देश

आम का मौसम आ गया है। इस दौरान कई व्यापारी आम को कृत्रिम तरह से पका कर बाजार में बेच देते हैं। ऐसे में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) अलर्ट हो गया है। एफएसएसएआई ने फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही एफएसएसएआई ने पकाने वाले कमरों को चलाने वाले व्यापारियों/फल संचालकों/खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) को भी सचेत किया है।

एफएसएसएआई ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा विभागों को सतर्क रहने का आदेश दिया है। साथ ही एफएसएसएआई ने गैरकानूनी कामों में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई का भी निर्देश दिया है। एफएसएसएआई ने अधिकारियों से कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ एफएसएस अधिनियम, 2006 और उसके तहत बनाए गए नियमों/विनियमों के प्रावधानों के अनुसार गंभीर कार्रवाई करें और सख्ती से निपटें।

कई तरह के होते हैं आम

चौसा

चौसा आम उत्तर भारत और बिहार में पाया जाता है। चौसा पीला और रसीला होता है। शेरशाह सूरी ने सोलहवीं शताब्दी ने इस प्रजाति को खोजा। बिहार के चौसा में शेरशाह सूरी ने हुमायूं से युद्ध जीतने के बाद इसे चौसा नाम दिया था। वैसे चौसा आम की प्रजाति की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में हुई थी। यह आम खाने में काफी स्वादिष्ट और सुर्ख पीले रंग का होता है। इस आम की पहचान आप रंग से ही कर सकते हैं। चौसा आम बाजार में आधी जुलाई बीत जाने के बाद आता है।

यह महाराष्ट्र का लोकप्रिय आम है और इसे ‘हापूस’ भी कहा जाता है। इसका दूसरा नाम रत्नागिरी है। रत्नागिरी आम महाराष्ट्र के जिलों रत्नागिरी, देवगिरी, रायगड़ और कोंकण में उगता है। रत्नागिरी किस्म का एक आम लगभग 150 से 300 ग्राम का होता है। अल्फांसो आम भारत के सबसे अच्छे आमों में से एक होता है। साथ ही ये बेहद महंगे भी होते हैं। इसे आसानी से पहचाना जा सकता है क्योंकि इन आम के ऊपर हल्का सा लाल रंग होता है। इसका स्वाद मीठा और खास होता है।

केसर की महक की तरह ही इस आम का नाम भी केसर है। केसर आम गुजरात की प्रमुख प्रजाति है जो कि अहमदाबाद के आसपास उगाया जाता है। केसर आम महंगे आम की किस्मों में से एक है। जिसे जूनागढ़ के नवाब ने सबसे पहले बोया था। जिसे ‘केसरी’ भी कहते हैं। इसकी पहचान नारंगी-पीले रंग और मधुर स्वाद से होती है।

लंगड़ा आम
आम की कुछ मशहूर किस्म में से एक लंगड़ा आम है जो कि उत्तर प्रदेश के बनारस में मुख्य तौर पर उगाया जाता है। जुलाई-अगस्त के महीने में ये आम आसानी से मिल सकता है। इस आम का नाम लंगड़ा इसलिए पड़ा क्योंकि पहली बार जिस किसान ने अपने खेत में इस आम को उगाया था, उसके पैर नहीं थे। ये आम पकने के बाद भी हरे रंग का ही होता है। इसमें हल्के लेमन येलो रंग का मिश्रण मिल जाएगा। साथ ही अंडे आकार का होता है। स्वाद के मामले में इस आम का कोई जवाब ही नहीं है।

सफेदा आम
सफेदा आम उत्तर प्रदेश की प्रमुख प्रजाति है, जिसका स्वाद खट्टा-मीठा सा होता है। इसके खट्टे स्वाद की वजह से गुजरात में इसका इस्तेमाल आमरस बनाने में किया जाता है। ये लाल रंग के होते हैं और आकार में लंबे व ढीले रसीले होते हैं। 

दशहरी
उत्तर प्रदेश के सबसे प्रमुख आम प्रजातियों में दशहरी का नाम शामिल है। इस आम की उत्पत्ति लखनऊ के पास दशहरी गांव से हुई। इसलिए इसका नाम दशहरी रख दिया गया। मलिहाबाद दशहरी आम के दुनियाभर में निर्यात का सबसे बड़ा स्थान है। इसका स्वाद मीठा होता है।

माल्दा
आम फलों का राजा है और आम की प्रजातियों का राजा माल्दा प्रजाति के आम को माना जाता है। माल्दा आम बिहार में उगते हैं। इन आमों में जरा से भी रेशे नहीं होते और इनका स्वाद खट्टा मीठा होता है। हरे रंग के ये आम चटनी बनाने के लिए उपयुक्त होता है।

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