बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी चुनाव में पार्टी की दुर्गति के लिए मुसलमानों को दोषी ठहराया है. मायावती ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी शर्मनाक हार की खीज मुस्लिम समुदाय पर उतारते हुए कहा कि दिखावे में तो मुसलमान बसपा के साथ रहा मगर वोट उसने समाजवादी पार्टी को दिया और इनके इस गलत फैसले से बसपा को बड़ा भारी नुकसान यह हुआ कि बी.एस.पी.समर्थक अपरकास्ट व ओबीसी समाज की विभिन्न जातियों में भी यह डर फैल गया कि सपा के सत्ता में आने से दोबारा यहाँ जंगलराज आ जाएगा और फिर येे लोग भी भाजपा की तरफ चले गये।
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मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि कल यूपी विधानसभा आमचुनाव के बी.एस.पी. की उम्मीद के विपरीत जो नतीजे आये हैं तो उससे घबराकर व निराश होकर पार्टी के लोगों को कतई भी टूटना नहीं है बल्कि उसके सही कारणों को समझकर व उनसे बहुत कुछ सबक सीखकर अब हमें अपनी पार्टी व मूवमेन्ट को फिर से आगे बढ़ाना है।
मायावती ने मीडिया को भी जातिवादी बताते हुए कहा कि यह भी नहीं चाहता है कि यहाँ के खासकर दबे-कुचले गरीब व लाचार लोग बाबा साहेब की मूवमेन्ट (मिशन) के मुताबिक चलकर सत्ता की मास्टर चाबी खुद अपने हांथों में लें और उसके लिए वे किसी भी हद तक गिरकर अपना गंदा व घिनौना आदि खेल खेलते रहते हैं।
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मायावती ने कहा कि पूरे यूपी से मिले फीडबैक के मुताबिक जातिवादी मीडिया अपनी अनवरत गंदी साज़िशों, प्रायोजित सर्वे आदि कार्यक्रमों एवं लगातार निगेटिव प्रचार के माध्यम से खासकर मुस्लिम समाज व भाजपा-विरोधी हिन्दू समाज के लोगों को भी गुमराह करने में यह प्रचारित करके काफी हद तक सफल साबित हुआ है कि बी.एस.पी. भाजपा की बी टीम है तथा यह पार्टी सपा के मुकाबले कम मजबूती से चुनाव लड़ रही है, जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है क्योंकि भाजपा से बसपा की लड़ाई राजनीतिक के साथ-साथ सैद्धान्तिक व चुनावी भी थी।
मायावती ने कहा कि मीडिया द्वारा इस प्रकार के लगातार दुष्प्रचार आदि किये जाने के कारण, भाजपा के अति-आक्रामक मुस्लिम-विरोधी चुनाव प्रचार से मुस्लिम समाज ने एकतरफा तौर पर सपा को ही अपना वोट दे दिया तथा इससे फिर बाकी भाजपा-विरोधी हिन्दू लोग भी बसपा में नहीं आए। यदि ये सभी लोग इन अफवाहों का शिकार न हुए होते तो फिर यूपी का चुनाव परिणाम कतई भी ऐसा नहीं होता।
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मायावती ने कहा कि मुस्लिम समाज ने बी.एस.पी से ज्यादा समाजवादी पार्टी पर भरोसा करने की बड़ी भारी भूल की है जिसकी सज़ा बी.एस.पी. को मिली है वह काफी कड़वी व सीख लेने वाली भी है। इसीलिए इस कड़वे अनुभव को खास ध्यान में रखकर ही अब बी.एस.पी. आगे अपनी रणनीति में बदलाव ज़रूर लायेगी।