30 C
Mumbai
Friday, November 22, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

मोदी के सत्ता पर काबिज़ होने के बाद राजनीतिक विरोधियों पर केंद्रीय एजेंसियों की पांच गुना ज़्यादा कार्रवाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद केंद्रीय एजेंसियों ने कम से कम 570 ऐसे लोगों या उनके परिवारों को निशाना बनाया जो सरकार के राजनीतिक विरोधी या आलोचक हैं. यूपीए-2 के दौरान जहां हर साल औसतन 17 मामले दर्ज किए जाते थे तो वहीं मोदी सरकार के दौरान हर साल औसतन 75 मामले दर्ज किए गए.

निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें

एक टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, इस दौरान भाजपा या उसके सहयोगी दलों से जुड़े केवल 39 लोगों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों ने कोई कार्रवाई की. केंद्र सरकार की इन एजेंसियों में सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग शामिल है.

कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान ऐसे 85 लोगों को केंद्रीय एजेंसियों ने निशाना बनाया था जो कांग्रेस के आलोचक थे. इस तरह सरकार के राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने में यूपीए-2 की तुलना में 340 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

कांग्रेस ने अपनी ही पार्टी और सहयोगी दलों के 27 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की थी. इसका मतलब है कि कांग्रेस ने अपनी या सहयोगी दलों के एक नेता के तुलना में तीन विपक्षी नेता को निशाना बनाया था जबकि भाजपा के शासन में यह संख्या 15 है.

अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

मोदी सरकार के विरोधियों में विपक्षी नेता, गैर-एनडीए नेता, उनके सहयोगी और रिश्तेदार, कार्यकर्ता, वकील, स्वतंत्र मीडिया संस्थान पत्रकार, फिल्म उद्योग से जुड़े लोग और सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं.

इनमें सबसे अधिक निशाना राजनेताओं को बनाया गया जिसमें 257 राजनेता और 140 उनके रिश्तेदार व सहयोगी शामिल हैं. सबसे अधिक निशाना बनाई जाने वाली पार्टी कांग्रेस जिसके 75 नेता जांच के दायरे में आए. इसके बाद टीएमसी के 36 नेताओं को निशाना बनाया गया. वहीं, आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल सहित उसके 18 नेताओं को निशाना बनाया गया.

राजनेताओं, उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों के अलावा बड़ी संख्या में सरकार के आलोचकों को भी केंद्रीय एजेंसियों ने निशाना बनाया जिनकी कुल संख्या 121 है. इसमें अभिनेत्री ताप्सी पन्नू, निर्देशक अनुराग कश्यप, पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा, अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज जैसे नाम शामिल हैं.

‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

सरकार पर आलोचनात्मक रिपोर्टिंग के लिए जाने जाने वाले 29 मीडिया घरानों या पत्रकारों को भी एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here