30 C
Mumbai
Friday, October 18, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

शीर्ष अदालत ने आत्महत्या के बढ़ते मामलों को बताया सामाजिक मुद्दा, PIL पर केंद्र से मांगा जवाब

सर्वोच्च न्यायालय ने आत्महत्या के बढ़ते मामलों को एक सामाजिक मुद्दा बताया। शीर्ष अदालत ने उस जनहित याचिका (पीआईएल) पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र को गुरुवार को चार हफ्ते का समय दिया, जिसमें आत्महत्याओं की रोकथाम और कमी के लिए एक सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन की मांग की गई है।

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ वकील गौरव बंसल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने बंसल की इस दलील का संज्ञान लिया कि आत्महत्या के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। 

सीजेआई ने कहा, “यह एक सामाजिक मुद्दा है, उन्हें (केंद्र और उनके अधिकारियों) को जवाबी हलफनामा दाखिल करने दीजिए।” उच्चतम न्यायालय ने 2 अगस्त, 2019 को जनहित याचिका पर केंद्र और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किए थे। 

याचिका में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह भी निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि वे आत्महत्या की भावना रखने वाले लोगों को कॉल सेंटर और हेल्पलाइन के जरिए मदद और सलाह प्रदान करने के लिए एक परियोजना शुरू करें। दिल्ली पुलिस की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि 2014 और 2018 के बीच 18 साल से कम उम्र के बच्चों की आत्महत्या के 140 मामले दर्ज किए गए। 

इसमें आगे कहा गया है कि भारत में आत्महत्या के मामलों को रोकने और उनमें कमी लाने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने, उसे आकार देने और लागू करने में अधिकारियों की विफलता ने न केवल मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 2017 की धारा 29 और 115 का उल्लंघन है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) का भी उल्लंघन है। 

बंसल ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार यहां स्वस्थ सामाजिक माहौल उपलब्ध कराने में विफल रही है। याचिका में कहा गया है कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 के विभिन्न प्रावधानओं को लागू करने में विफल रहे हैं और उन्हें अपने अधिकार क्षेत्र में आत्महत्याओं की रोकथाम और उनमें कमी लाने के लिए उचित कदम उठाने के लिए निर्देश दिया जाना चाहिए। 

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here