28 C
Mumbai
Monday, November 18, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

कृषि कानूनों की ही तरह श्रम कानून के चार विधेयकों पर ट्रेड यूनियन भी सरकार को घेरने की तैैैैयारी में

नई दिल्ली: श्रम कानून से संबंधित चार विधेयकों को लेकर ट्रेड यूनियन भी सरकार को घेरने की तैैैैयारी में, किसानों की दो माह से चल रही हड़ताल के कारण नरेंद्र मोदी सरकार की कुछ अन्य सुधारों को लागू करने की योजना पर विराम लगने की आशंका बढ़ गई है. प्रधानमंत्री कार्यालय संबंधित मंत्रालयों के साथ मिलकर किसानों की हड़ताल खत्म करने की कोशिश में हैं वहीँ चार श्रम संहिता विधेयकों (लेबर कोड्स) के खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है.

अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ क्लिक करें

कृषि कानूनों की तरह पास हुए थे श्रम कानून

उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों की ही तरह मोदी सरकार ने संसद के मानसून सत्र (2019) में श्रम कानून से संबंधित चार विधेयकों को पारित करा लिया था. तब सरकार ने यह वादा करके परेशानी को टाला था कि श्रम मंत्रालय द्वारा नियम तय करने और ट्रेड यूनियनों और हितधारकों से चर्चा के बाद ही इन्हें लागू किया जाएगा.

मानवाधिकार अभिव्यक्ति न्यूज की चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ क्लिक करे

नये सिरे से बातचीत की मांग
अब देश की 13 प्रमुख ट्रेड यूनियनों में से 10 ने नियमों का निर्धारण करके नये सिरे से बातचीत की मांग की है. यूनियनों के मुताबिक फैसला द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय सलाह-मशविरे के बाद होना चाहिए. इसमें इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, आईयूटक शामिल हैं.

“MA news” app डाऊनलोड करें और 4 IN 1 का मजा उठायें  + Facebook + Twitter + YouTube.

Download now

यूनियनों का आरोप
यूनियनों का आरोप है कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से बातचीत के बगैर ही संसद में श्रम कानून संबंधित महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करा लिया गया. यूनियनों के मुताबिक इनका असर 50 करोड़ मजदूरों पर पड़ेगा. संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के पदाधिकारी अनुबंधित कर्मचारियों के संरक्षण की मांग को लेकर श्रम मंत्री से अलग से मिलेगा. इनकी मांग है कि नये कोड्स में कांट्रेक्टर के लिए कर्मचारी को ईएसआई और ईपीएफ से जोड़ना अनिवार्य होना चाहिए. इस बीच श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने श्रम संहिता को लागू करने की तारीख का ऐलान टाल रखा है.

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here