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Wednesday, April 24, 2024

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स्वतंत्र ग्लोबल पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, WHO के ख़राब निर्णय भी कोरोना से लाखों मौतों के लिए ज़िम्मेदार

जेनेवा: स्वतंत्र ग्लोबल पैनल द इंडिपेंडेंट पैनल फॉर पैन्डेमिक प्रीपेयर्डनेस एंड रिस्पॉन्स (IPPPR) ने कहा कि WHO महामारी को लेकर पहले अलर्ट कर सकता था. पैनल ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है. जानलेवा कोरोनावायरस और खराब तालमेल की वजह से चेतावनी के संकेत अनसुने कर दिए गए. IPPPR ने कहा है कि एक के बाद एक खराब निर्णयों की वजह से कोरोनावायरस ने अब तक करीब 33 लाख लोगों की जान ले ली और वैश्विक अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया.

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स्वतंत्र ग्लोबल पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक

संस्थाएं नाकाम
IPPPR ने अपनी बहुप्रतीक्षित अंतिम रिपोर्ट में कहा कि संस्थाएं लोगों की सुरक्षा में विफल रहीं और विज्ञान से इनकार करने वाले नेताओं ने स्वास्थ्य हस्तक्षेप में जनता के विश्वास को मिटा दिया. पैनल ने कहा कि चीन के वुहान में दिसंबर 2019 में शुरू हुए कोरोना के प्रकोपों ​​की प्रारंभिक प्रतिक्रिया में तत्काल कमी थी. इसकी अनदेखी की वजह से फरवरी 2020 का महीना काफी महंगा साबित हुआ, क्योंकि कई देश इस संकेत को समझने में नाकाम रहे.

अगली महामारी की तैयारी
वर्तमान महामारी से निपटने के लिए, सबसे अमीर देशों से सबसे गरीब देशों को एक अरब वैक्सीन की खुराक दान करने का आह्वान किया गया. पैनल ने अपनी रिपोर्ट में दुनिया के सबसे धनी राष्ट्रों से अगली महामारी की तैयारी के लिए समर्पित नए संगठनों को आर्थिक मदद मुहैया कराने की भी बात कही है.

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खतरे को नज़रअंदाज़ किया
रिपोर्ट में कहा गया कि महामारी के खतरे को नजरअंदाज कर दिया गया था और लगभग सभी देश इससे निपटने के लिए तैयार नहीं थे. पैनल ने WHO पर निशाना साधते हुए कहा कि संगठन 22 जनवरी, 2020 की स्थिति को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मामले के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर सकता था. इसके बजाय उसने ऐसा करने के लिए 8 और दिनों का इंतजार किया.

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देरी के लिए सिर्फ चीन ज़िम्मेदार नहीं
WHO ने पिछले साल मार्च में इसे महामारी करार दिया था. पैनल ने कहा कि चीन की तरफ से जरूर देरी हुई लेकिन हर ओर से इस मामले में देरी हुई. रिपोर्ट में वर्तमान समय में इस महामारी से निपटने के लिए भी कई उपायों का जिक्र किया गया है, जिसमें प्रमुख तौर पर तेजी से टीकाकरण की बात कही गई है.

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