नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी पुलिस अधिकारी को जमानत देने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पुलिस अधिकारी को जेल भेजने का आदेश दिया है। दरअसल पीड़ित नाबालिग का चार लोगों ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया था। पीड़ित नाबालिग इसकी शिकायत करने पुलिस थाने पहुंची थी, जहां पुलिस अधिकारी ने भी उसका यौन शोषण किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले को न्यायसंगत मानने का कोई कारण नहीं है। आरोपी पुलिस थाने में एसएचओ के पद पर तैनात था और उसने अपने पद का दुरुपयोग किया और नाबालिग से दुष्कर्म का जघन्य अपराध किया। जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने पीड़ित की मां की याचिका पर यह आदेश दिया। आरोपी पुलिस अधिकारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते साल 2 मार्च को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था।
पीड़िता की मां ने दायर की थी याचिका
पीठ ने कहा कि नाबालिग पीड़िता न्याय मांगने के लिए थाने गई थी, लेकिन वहां भी उसके साथ जघन्य अपराध हुआ। पीठ ने कहा कि आरोपी पुलिस अधिकारी को समर्पण करना होगा अगर वो ऐसा नहीं करता है तो राज्य सरकार जरूरी कदम उठाए और उसे न्यायिक हिरासत में ले। पीड़ित की मां की तरफ से वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का पेश हुए। आरोपी के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं, पोक्सो एक्ट और अनुसूचित जाति और जनजातीय अधिनियम के तहत मामला दर्ज हुआ था।