29 C
Mumbai
Wednesday, November 5, 2025

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

धर्मांतरण विरोधी मामलों में शामिल होना चाहता 19 वर्षीय अभिषेक खटीक, कहा— शेल्टर होम में जबरन कराई गई ईसाई प्रार्थना

मध्य प्रदेश के 19 वर्षीय युवक अभिषेक खटीक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर खुद को उन मामलों में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है, जो देश में धार्मिक धर्मांतरण से जुड़े मामलों पर चल रहे हैं। खटीक का दावा है कि वह जबरन और धोखाधड़ी से किए गए धर्मांतरण का शिकार हुआ है। उसने कहा कि उसे एक शेल्टर होम में मजबूर किया गया कि वह ईसाई प्रार्थनाओं में हिस्सा ले और मंदिर जाने से रोका जाता था।

याचिका अधिवक्ता अश्विनी दुबे के माध्यम से दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि अभिषेक खटीक अनुसूचित जाति समुदाय से आता है और मध्य प्रदेश के कटनी जिले के झिंझहरी स्थित आशा किरण नामक शेल्टर होम में रह रहा था। याचिका में बताया गया कि वहां उस पर मानसिक और धार्मिक दबाव डाला गया ताकि वह अपना धर्म बदल ले। यह भी कहा गया कि यह मामला उन्हीं घटनाओं का उदाहरण है जिनसे बचाव के लिए विभिन्न राज्यों ने धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए हैं।

एनसीपीसीआर जांच में खुली पोल
याचिका के अनुसार, यह मामला तब सामने आया जब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के तत्कालीन अध्यक्ष प्रियांक कनूगो ने आशा किरण होम का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान चार बच्चों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें अभिषेक खटीक भी शामिल था। बयानों में कई गंभीर बाल संरक्षण उल्लंघनों और जबरन धर्मांतरण के आरोप सामने आए। इसके बाद माधव नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई।

सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले का संदर्भ
सुप्रीम कोर्ट में इस समय कई राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाएं लंबित हैं। अदालत ने 2023 में इन सभी याचिकाओं को एकसाथ जोड़कर सुनवाई का आदेश दिया था ताकि इस संवेदनशील विषय पर एक समान निर्णय हो सके। अदालत के अनुसार, इस मुद्दे से जुड़े कम से कम पांच मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट, सात मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, दो-दो मामले गुजरात और झारखंड, तीन हिमाचल प्रदेश, तथा एक-एक कर्नाटक और उत्तराखंड हाईकोर्ट में लंबित हैं। इसके अलावा गुजरात और मध्य प्रदेश सरकारों ने भी अपने-अपने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

जमीअत उलमा-ए-हिंद की आपत्ति
इसी विषय पर जमीअत उलमा-ए-हिंद ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। संगठन ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती दी है। उनका तर्क है कि ये कानून वास्तव में अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को परेशान करने और उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज कराने के लिए बनाए गए हैं।
जमीअत ने यह भी कहा कि इन कानूनों के तहत व्यक्ति को अपना धर्म सार्वजनिक रूप से बताने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे निजता के अधिकार (Right to Privacy) का उल्लंघन होता है।

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here