देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ के ‘जांबाज’, कुछ परेशान से हैं तो थोड़े हैरान भी हैं। वजह है सोशल मीडिया। अतीत में देखें तो बल में अप्रत्यक्ष तौर पर शीर्ष स्तर से कई बार ऐसे आदेश आते रहे हैं कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों पर निगरानी रखी जाए। कुछ अधिकारियों के ट्विटर अकांउट पर नजर रखी गई। इसके पीछे मुख्य वजह, बल कार्मिकों के द्वारा अपने हितों से जुड़े मुद्दों पर आवाज उठाना था। हालांकि वे कार्मिक, अपनी पोस्ट में इस बात का खास ध्यान रखते थे कि उनकी पोस्ट से ‘बल’ की छवि पर कोई विपरित असर न पड़े। वे बल की उपलब्ध्यिों को भी पोस्ट करते थे। अब बल मुख्यालय ने अपनी सभी यूनिटों से कहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके यहां पर कार्यरत सभी कार्मिक ट्विटर अकाउंट बनाएं। उसका इस्तेमाल करें। बल के आधिकारिक ट्विटर पर ‘पीआरओ’ द्वारा जो कुछ डाला जाता है, उसे आगे बढ़ाएं।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, सीआरपीएफ में विभिन्न स्तरों पर पदोन्नति एवं दूसरी कई मांगें, लंबे समय से पेंडिंग हैं। कुछ मामले अदालतों में भी विचाराधीन हैं। डीजी द्वारा सैनिक सम्मेलन किए जाते हैं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होती हैं। इससे परे, उनकी समस्याओं के समाधान के लिए कमेटी भी गठित की जाती हैं। नतीजा, लंबे समय तक कमेटी की रिपोर्ट ठंडे बस्ते में पड़ी रहती है। उदाहरण के तौर पर सीआरपीएफ में कई वर्षों से कैडर अधिकारियों की पदोन्नति का मुद्दा गर्माया हुआ है। यह मामला, शीर्ष अदालत तक भी पहुंचा है, मगर अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है। सीधी भर्ती के जरिए फोर्स ज्वाइन करने वाले कैडर अफसरों को पहली पदोन्नति मिलने में ही 15 से 16 साल लग रहे हैं। इससे आगे के करियर का अंदाजा लगाया जा सकता है। समय पर पदोन्नति न मिलने के कारण अनेक युवा अफसर, जॉब छोड़ रहे हैं।
इसी तरह की समस्याएं, जब सोशल मीडिया में आने लगी तो बल के शीर्ष नेतृत्व को वह बात नागवार गुजरी। बल में जो भी पर्सनल, सोशल मीडिया पर सक्रिय थे, उनकी निगरानी होने लगी। हालांकि इसके बाद भी सोशल मीडिया में, कार्मिकों की मांगें उठती रही। सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों बल के शीर्ष नेतृत्व की तरफ से आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो संदेश जारी किया गया था। जब उस वीडियो को ज्यादा लाइक नहीं मिले और वह बड़े स्तर पर प्रसारित नहीं हो सका तो ‘साहब’ को एक दूसरे शीर्ष अफसर ने सलाह दी कि बल में ट्विटर शुरु कराया जाए। दूसरे शब्दों में उस संदेश की भाषा ऐसी थी कि सोशल मीडिया के इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया जाए। बल में अधिकारियों और जवानों को मिलाकर सवा तीन लाख से ज्यादा पर्सनल हैं। अगर वे सभी ट्विटर का इस्तेमाल करेंगे तो बल की उपलब्ध्यिां या ‘साहब’ का संदेश अच्छे से प्रसारित हो सकेगा।
सूत्रों ने बताया, बल की सभी यूनिटों/दफ्तरों से यह जानकारी मांगी जा रही है कि उनके यहां पर कितने पर्सनल का ट्विटर अकाउंट है। इसके लिए बाकायदा एक फॉरमेट भी जारी किया गया है। उसमें यूनिट/दफ्तर का नाम और ऐसे पर्सनल, जिनका ट्विटर अकाउंट है, लिखना है। इस संबंध में पिछले दिनों महानिदेशालय के आईजी ‘इंट’ और पीआरओ के द्वारा एक वीडियो कॉंफ्रेंस भी की गई थी। इसमें कहा गया था कि सीआरपीएफ में गुड वर्क से जुड़ी सूचनाएं लोगों तक पहुंचनी चाहिए।
बल के पीआरओ, समय-समय पर ऐसी जानकारी सीआरपीएफ के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर डालते रहते हैं। यह जानकारी कंपनी स्तर तक प्रसारित होनी चाहिए। यूनिटों और दफ्तरों में कितने कार्मिकों ने ट्विटर इस्तेमाल करना शुरु किया है, यह जानकारी अविलंब दी जाए। इसके अलावा, ऐसे कितने कार्मिक हैं, जो ट्विटर का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, उनकी सूची बनाकर भेजी जाए। अब सीआरपीएफ के अधिकारी और जवान, असमंजस में हैं कि वे सोशल मीडिया पर जाएं या नहीं। अगर वे जाते हैं तो उन्हें यह चिंता रहेगी कि बल मुख्यालय उनकी निगरानी करा सकता है, नहीं गए तो आदेश की अवहेलना मानी जाएगी।