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Wednesday, March 26, 2025

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फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता सरकार; राज्यपाल की ओर से विधेयकों पर स्वीकृति न देने का मामला उठाया

पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उसने राज्यपाल द्वारा आठ विधेयकों पर स्वीकृति न देने के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। राज्य सरकार का कहना है कि यह बंगाल के निवासियों को प्रभावित कर रहा है, जिनके कल्याण के लिए विधेयक पारित किए गए थे।

पश्चिम बंगाल राज्य ने अनुच्छेद 32 के तहत दायर रिट याचिका में तर्क दिया कि राज्यपाल द्वारा बिना कोई कारण बताए विधेयकों पर स्वीकृति न देना संविधान के अनुच्छेद 200 के प्रावधानों के विपरीत है। राज्य की ओर से पेश एडवोकेट आस्था शर्मा ने शुक्रवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए उल्लेख किया।

सीजेआई ने अनुरोध पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की।

राज्य ने बताया कि राज्यपाल की चूक ने लोकतांत्रिक सुशासन को पराजित और नष्ट करने की धमकी दी और विधेयकों के माध्यम से लागू किए जाने वाले कल्याणकारी उपायों के लिए राज्य के लोगों के अधिकारों का उल्लंघन किया।

सुप्रीम कोर्ट ने नवाब मलिक की अंतरिम जमानत दो हफ्ते के लिए बढ़ाई
सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक की अंतरिम जमानत की अवधि को चिकित्सा आधार पर दो हफ्ते के लिए बढ़ा दी। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश वकील की दलीलों पर ध्यान दिया कि उन्हें मामले में अभी तक नए निर्देश नहीं मिले हैं और सुनवाई दो हफ्ते के लिए स्थगित कर दी। शीर्ष अदालत ने अंतरिम जमानत की राहत को इसी अवधि के लिए बढ़ा दिया। अगस्त, 2023 में मलिक को दी गई अंतरिम जमानत को समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है। मलिक ने ईडी की ओर से जांच किए जा रहे मामले में चिकित्सा आधार पर जमानत देने से इन्कार करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के 13 जुलाई, 2023 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था। ईडी ने कथित तौर पर भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े मामले में मलिक को फरवरी, 2022 में गिरफ्तार किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण के खिलाफ याचिका दायर करने वाली याचिकाकर्ता का उत्पीड़न न किया जाए। दरअसल, याचिकाकर्ता ने रिज क्षेत्र में पेड़ों के अवैध कटान को लेकर डीडीए के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्जवल भुयान की पीठ ने इस मामले में दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। पीठ ने कहा, ‘हम सभी प्राधिकरणों से स्पष्ट रूप से कहते हैं कि याचिकाकर्ता के उत्पीड़न की कोई भी कोशिश न की जाए। सिर्फ इस वजह से याचिकाकर्ता को परेशान करने की आवश्यकता नहीं है कि उन्होंने अवमानना याचिका दायर की है।’

जमानत पर रोक सिर्फ दुर्लभ मामलों में ही लगाई जानी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को यांत्रिक तरीके से और बिना कोई कारण बताए जमानत आदेशों पर रोक लगाने से बचना चाहिए। किसी आरोपी को यह राहत केवल दुर्लभ मामलों में ही देने से इनकार किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने धन शोधन के एक मामले में आरोपी परविंदर सिंह खुराना की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए ये टिप्पणियां कीं। खुराना ने ट्रायल कोर्ट से पारित जमानत आदेश पर अस्थायी रोक लगाने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, अदालतें किसी अभियुक्त की स्वतंत्रता को अनौपचारिक रूप से बाधित नहीं कर सकतीं। अदालतों को सिर्फ दुर्लभ और असाधारण मामलों में ही जमानत आदेश पर रोक लगानी चाहिए। जैसे व्यक्ति आतंकवादी मामलों में शामिल हो, जहां आदेश विकृत हो या कानून के प्रावधानों को दरकिनार किया गया हो। पीठ ने कहा, आप इस तरह से स्वतंत्रता को प्रतिबंधित नहीं कर सकते। अगर हम इस तरह से रोक लगाते हैं, तो यह विनाशकारी होगा। अनुच्छेद 21 कहां जाएगा। पीएमएलए मामले में पिछले साल 17 जून को ट्रायल कोर्ट ने खुराना को जमानत दे दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 7 जून को हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई और खुराना की जमानत बहाल कर दी।

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