महाराष्ट्र में त्रिभाषा फार्मूला लागू किया जाएगा। इससे सूबे में मराठी के साथ हिंदी और अंग्रेजी को भी वरीयता मिलेगी। राज्य के सांस्कृतिक विभाग ने मराठी भाषा के संवर्धन पर विशेष जोर देते हुए नई सांस्कृतिक नीति बनाई है जिसके तहत 25 साल का विस्तृत प्रारूप तैयार किया गया है। नई नीति में मराठी भाषा को अनिवार्य किया गया है। साथ ही, राष्ट्रीय शैक्षणिक नीति के तहत हर क्षेत्र में त्रिभाषा फार्मूला लागू करने की बात कही गई है।
महाराष्ट्र राज्य की सांस्कृतिक नीति तय करने के लिए सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी। इसके कार्याध्यक्ष भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य विनय सहस्रबुद्धे को नियुक्त किया गया था। कार्याध्यक्ष सहस्रबुद्धे के मातहत विभिन्न उपसमितियां गठित की गई थी, जिसमें भाषा, साहित्य, पुरातत्व, लोककला, संगीत, रंगभूमि, नृत्य, सिनेमा आदि शामिल थे।
इस समिति की रिपोर्ट के तहत ही राज्य की नई सांस्कृतिक नीति तैयार की गई है। इसमें प्राथमिक पाठशाला में चौथी कक्षा तक मराठी भाषा को अनिवार्य करने और शिक्षा व प्रशासनिक कामकाज में मराठी भाषा पर जोर देने की बात कही गई है। वहीं, बोली-भाषा के जतन के लिए विशेष विभाग गठित करने का सुझाव दिया गया है। नई नीति में गैरमराठी लोगों को मराठी भाषा सिखाने के लिए सुलभ साधन मुहैया कराने की भी बात कही गई है।