भारतीय स्टेट बैंक की मुंबई की एक शाखा को उस समय आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जब उसने बैंक परिसर में एक नोटिस लगाकर बुर्क़ा और स्कार्फ़ पहने ग्राहकों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी।
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इस मामले पर सोशल मीडिया पर नाराज़गी के बाद बैंक ने इस नोटिस को हटा दिया। एसबीआई की यह शाखा मुंबई के कुर्ला ईस्ट के नेहरू नगर में है जो मुस्लिम बहुल्य इलाक़ा है।
हिंदी, मराठी और अंग्रेजी में लिखे नोटिस में कहा गया कि बैंक की शाखा परिसर के भीतर बुर्क़ा और स्कार्फ़ पहनने पर पाबंदी है।
सोशल मीडिया पर स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद बैंक ने शाखा परिसर में लगे इस नोटिस को हटा दिया और तीन नवम्बर को ट्वीट कर माफ़ी मांगी।
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एसबीआई के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से ट्वीट कर कहा गया कि नक़द निकासी और अन्य वित्तीय लेनदेन के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर यह नोटिस लगाया गया था और इसके पीछे कोई अन्य मंशा नहीं थी।
कुछ लोगों ने ट्वीट कर एतराज जताया कि नकद लेन-देन के दौरान सिर्फ़ बुर्क़े और स्कार्फ़ पहनने पर ही समस्या क्यों हैं, जबकि कोविड-19 एहतियाती उपाय के तहत ग्राहकों को मास्क से भी चेहरों को कवर करना पड़ता है।
2019 में कुछ महिलाओं को लखनऊ मेट्रो में यात्रा करने से रोक दिया गया क्योंकि उन्होंने अपना बुर्क़ा हटाने से इनकार कर दिया था।
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ठीक इसी तरह फ़िरोज़ाबाद में एसआरके कॉलेज में कुछ छात्राओं को इसलिए प्रवेश नहीं दिया गया क्योंकि वे बुर्क़ा पहने हुए थीं।
2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा सांसद संजीव बालियान ने आरोप लगाया था कि बुर्क़ा पहने मतदाता फर्ज़ी वोटिंग के लिए ज़िम्मेदार हैं जबकि इस आरोप को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था।