30 C
Mumbai
Monday, May 13, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

आजादी का नारा लगाने के लिए काटनी पड़ी जेल, अब चीन के जुल्मों को दुनिया के सामने ला रही तिब्बत की बेटी

पिछले साल 28 जून को तिब्बती लड़की नेपाल होते हुए भारत के धर्मशाला में पहुंची। धर्मशाला में तिब्बती सरकार द्वारा चलाए जा रहे शैक्षणिक संस्थान में पढ़ रही हैं। उसने चीन के बारे में कई खुलासे किए। उसने कहा कि दुनियाभर के लोगों को बताना चाहती है कि उनके साथ चीन की जेल में किस तरह का व्यवहार हुआ। यही नहीं चीनी पुलिस ने उनके परिवारजनों को भी बहुत परेशान किया।

तिब्बती काउंटी नगाबा की निवासी एक 15 वर्षीय लड़की नामकी और उसकी बहन तेनज़िन डोलमा को चीनी अधिकारियों ने 21 अक्तूबर 2015 को गिरफ्तार किया था। लड़की ने दलाई लामा और फ्री तिब्बत की मांग के लिए प्रदर्शन करना शुरू किया थी। इसके बाद तीन-चार पुलिस कर्मी ने उसे रोका और उसके हाथ से दलाई लामा की तस्वीरें छीनकर गिरफ्तार कर लिया, इसके बाद उसे नगाबा काउंटी से बरकम शहर में ले गए। हिरासत में दोनों बहनों को खूब यातनाएं दी। तिब्बती लड़की ने बताया कि उससे पूछताछ की गई दलाई लामा के बारे में कई सवाल पूछे गए, प्रदर्शन क्यों कर रहे थे, दलाई लामा के चित्र कहां से मिले जैसे कई सवाल पूछे गए।

नामाकी ने बताया कि दोनों की गिरफ्तारी के एक साल बाद उन पर मुकदमा शुरू हुआ। जेल में श्रमिक शिविर में उनसे काम करवाया गया। 21 अक्तूबर 2018 को अपनी सजा पूरी करने के बाद रिहाई के समय उनको पता चला कि उनके परिवार ने उनके लिए कपड़े और खाना भेजा, लेकिन उन तक वह पहुंचाया ही नहीं गया। यहां तक कि चीनी अधिकारियों ने उनके परिवारजनों को भी बहुत परेशान किया। रिहा होने के बाद 13 मई 2023 को वे बिना किसी को बताए वहां से भाग निकली, नेपाल होते हुए 28 जून को वह भारत के धर्मशाला में आ पहुंची।

नामाकी ने बताया उनके परिवार पर खतरा मंडरा रहा है, उनके परिवार को निशाना बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब वे चाहती हैं कि दुनिया जाने तिब्बत की असली स्थिति। तिब्बत में लोग किस तरह दयनीय स्थिति में रह रहे हैं। दुनिया के सामने नामाकी तिब्बत की आवाज बनना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि वे चाहती हैं कि सबको पता चले की तिब्बत में क्या कुछ हो रहा है। 1959 में एक असफल चीनी विरोधी विद्रोह के बाद, 14वें दलाई लामा तिब्बत से भागकर भारत आ गए जहां उन्होंने निर्वासित सरकार की स्थापना की। चीनी सरकार के अधिकारी और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधि 2010 के बाद से औपचारिक वार्ता में नहीं मिले।

नामाकी ने बताया कि 15 साल की उम्र में उन्हें जेल में डाल दिया गया है, अब वे 24 साल की हो चुकी हैं।  वे चाहती हैं कि चीन सरकार तिब्बत के बारे में जो पूरी दुनिया को बता रही है वह सब वास्तविकता से बिल्कुल उल्टा है। तिब्बती लोग भय में जी रहे हैं। चीन तिब्बत को कमजोर कर रहा है। नामाकी ने चीन की सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता और तिब्बत की सांस्कृतिक विरासत और पहचान को खत्म किया जा रहा है। लेकिन बीजिंग इन आरोपों को हर बार खारिज कर देता है।

तिब्बती लोगों की आवाज बनकर दुनिया को बताएंगी चीन का दिया दर्द
नामाकी कहती हैं कि अब वे तिब्बत की आवाज हैं। चीन के अत्याचारों, तिब्बती लोगों के दर्द के बारे में वे पूरी दुनिया को बताकर ही रहेंगी। उन्होंने कहा कि चीन बार-बार यह दावा करता है कि उसने तिब्बत में क्रूर धर्मतंत्र को खत्म किया है, समृद्धि और आधुनिकीकरण की ओर बढ़ाया है। जो सब गलत है। 

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here