लोकसभा के चुनावों से पहले सियासत में वह सभी दांव आजमाए जाने लगे हैं जिनके दम पर सत्ता के सिंहासन का रास्ता निकलता है। इसी कड़ी में अब कांग्रेस पार्टी भी उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी को अयोध्या, काशी और नैमिषारण्य तक ले जाने का सियासी रोड मैप तैयार करने में जुट गई है। हालांकि आधिकारिक तौर पर पार्टी ने अभी इस तरह की कोई घोषणा तो नहीं की है लेकिन जिस तरह सियासी गलियारों में चर्चाएं हो रही है उससे अंदाजा यहीं लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस भी उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व की राह पर सियासी लकीर खींचनी शुरू कर देगी। इस कड़ी में कांग्रेस के नेताओं ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। अगर राहुल गांधी राम मंदिर जाते हैं तो यह उनकी राम मंदिर जाने की पहली यात्रा होगी।
दरअसल कांग्रेस की इस हिंदुत्व की राह को आगे बढ़ाने के लिए सबसे बड़ा बल तब मिला जब राजीव गांधी फाउंडेशन के सीईओ विजय महाजन ने अयोध्या के संतों से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान हुई बातचीत के बाद यही हुआ कि राहुल गांधी अयोध्या में रामलला के दर्शन को आ सकते हैं। बल्कि चर्चा इस बात की भी सबसे ज्यादा हो रही है कि राहुल गांधी सिर्फ अयोध्या में रामलला के दर्शन ही नहीं करेंगे बल्कि बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ-साथ अन्य मंदिरों में भी जाने की तैयारी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली के सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की सबसे ज्यादा हो रही है कि राहुल गांधी सिर्फ अयोध्या और बनारस से नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में संतों और ऋषियों की नगरी नैमिषारण्य में भी जाकर राज्य की रियासत के लिहाज से पार्टी को मजबूती कर बड़ा आधार देने की बड़ी तैयारी करेंगे।
सियासी जानकारों का मानना है कि कुछ समय में जिस तरीके से उत्तर प्रदेश के नैमिषारण्य को सियासी दलों ने अयोध्या मथुरा काशी के साथ-साथ आगे रखना शुरू किया है उसे लिहाज से एक बड़ा सियासी संदेश उत्तर प्रदेश के लिए जाता है। राजनैतिक जानकार ओमवीर श्रीवास्तव कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी तो नैमिषारण्य को एक बड़े कैनवास पर उभार कर सामने ला रही है। जिस तरह समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने नैमिषारण्य को तवज्जो देकर सियासी संदेश देने की कोशिश की उसी तर्ज पर कांग्रेस भी इस तरह की योजना बना रही है तो आने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह उनकी रणनीति का बड़ा महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। श्रीवास्तव का मानना है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जिस तरीके से अयोध्या का राम मंदिर फिर से भाजपा के लिए बहुत बड़ा मुद्दा बन रहा है उसके लिए अगर कांग्रेस अपनी सियासी रणनीति में हिंदुत्व के मुद्दे को साध कर आगे बढ़ती है तो निश्चित तौर पर पार्टी खुद को एक अलग नैरेटिव के साथ न सिर्फ आगे रख सकेगी बल्कि इस नजरिये से भी पार्टी को फायदा होने का अनुमान लगाया जा सकता है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में जिस तरीके से कांग्रेस ने बड़े स्तर पर फेर बदल करके अपनी मजबूत स्थिति की तैयारी की है, उसमें अगर पार्टी भारतीय जनता पार्टी के उन मुद्दों को छूती है जिससे सियासी समीकरण बनते हैं तो पार्टी के लिए रणनीतिक तौर पर एक बड़ा कदम होगा। कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आने वाले लोकसभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां की जा रहीं हैं क्योंकि पार्टी का मानना है जिस तरीके से राहुल गांधी ने हाल के दिनों में रोज कमाने खाने वालों से मिलने और उनको घर बुलाने का सिलसिला शुरू किया है अगर उसमें उत्तर प्रदेश भी शामिल हो जाता है तो पार्टी को एक बड़ा बूस्टर मिलने का अंदाजा लग रहा है। इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेश शुक्ला कहते हैं कि अयोध्या में राम लला, काशी विश्वनाथ मंदिर और नैमिषारण्य सिर्फ भाजपा की प्रॉपर्टी तो है नहीं। इसलिए अगर राहुल गांधी या कोई भी कांग्रेस का नेता इन मंदिरों में जाता है तो भाजपा को दिक्कत क्यों हो रही है।
उत्तर प्रदेश में लंबे समय तक सियासत को समझने वाले राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रहे वीरेंद्र तिवारी कहते हैं कि राहुल हनुमान गढ़ी तो गए पर राम मंदिर पहली बार जाने की योजना बन रही है। 2017 में हुई किसान यात्रा में राहुल अयोध्या पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने प्रसिद्ध हनुमान गढ़ी में दर्शन किया। हालांकि उन्होंने तब राम मंदिर से दूरी बना ली थी। 25 साल बाद तब वह पहला मौका था जब नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य अयोध्या पहुंचा हुआ था। बाबरी विध्वंस के बाद गांधी परिवार ने अयोध्या से दूरी बना ली थी।