जर्मनी मे बंदरगाहों के कर्मचारियों ने लंबी हड़ताल पर जाने का फैसला कर लिया है।
जर्मनी की बंदरगाहों के कर्मचारियों ने आजसे 48 घंटों की हड़ताल आरंभ की है। यह हड़ताल बंदरगाहों पर काम की स्थति को लेकर की जा रही है।
कमर्चारियों के प्रतिनिधियों और अधिकारियों के बीच वार्ता के छठी बार विफल हो जाने के बाद इस हड़ताल का फैसला लिया गया है। इस हड़ताल के साथ ही जर्मनी की सभी बंदरगाहों पर काम रोक दिया जाएगा। 12 हज़ार से अधिका कर्मचारी इस हड़ताल में भाग ले रहे हैं। उनका कहना है कि अगर उनकी बातें नहीं मानी गईं तो यह हड़ताल लंबी खिंच सकती है।
इसी बीच जर्मनी के वित्तमंत्री ने कहा है कि हालिया कुछ महीनों के दौरान ईंधन के मूल्यों में वृद्धि, निवेश में कमी, क्रय शक्ति का लगातार कम होना और सामाजिक समस्याओं के कारण हमें कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जर्मनी के चांस्लर तो पहले ही इस देश में बढ़ती मंहगाई और बढ़ती क़ीमतों को एतिहासिक चुनौती कह चुके हैं। उनका कहना है कि हमारे समाज को इस प्रकार की समस्याओं का सामना लंबे समय तक करना पड़ सकता है।
बहुत से आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि पश्चिमी देशों विशेषकर जर्मनी में पैदा होने वाली आर्थिक समस्याओं का संबन्ध किसी सीमा तक रूस पर लगे प्रतिबंधों से भी बताया जा रहा है। यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिम ने रूस की कमर तोड़ने के उद्देश्य से माॅस्को के विरुद्ध कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे।
आशा यह की जा रही थी कि रूस पर प्रतिबंध लगाने के बाद वह झुकने पर मजबूर होगा। पश्चिम के इन व्यापक प्रतिबंधों से रूस तो नहीं झुका लेकिन कई पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था को इससे बहुत नुक़सान हुआ है जिनमें जर्मनी भी शामिल है।