कनाडा ने एक अनेपक्षित कदम उठाते हुए भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता पर रोक लगा दी है। उसने कहा है कि दोनों देश आपसी सहमति से वार्ता भविष्य में फिर से शुरू करेंगे। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया, कनाडाई पक्ष ने बताया कि वह अर्ली प्रोग्रेस ट्रेड एग्रीमेंट (ईपीटीए) को रोक रहे हैं। इससे हम दोनों वार्ता पर प्रगति और अगले कदमों का जायजा ले सकेंगे। हम आपसी सहमति से तय करेंगे कि वार्ता कब बहाल होगी।
कनाडा की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो जी-20 शिखर सम्मेलन में इस महीने भाग लेने के लिए भारत आ सकते हैं।
पिछले साल दोबारा शुरू हुई थी समझौता वार्ता
भारत व कनाडा के बीच अबतक करीब दर्जनभर मुक्त व्यापार समझौता वार्ताएं हो चुकी हैं। पिछले साल मार्चा में दोनों देशों ने अंतरिम समझौते के लिए फिर से समझौता वार्ता शुरू की थी, जिसे आधिकारिक तौर पर ईपीटीए के रूप में जाना जाता है। वार्ता की शुरुआत 2010 में हुई थी और 2017 में रोक दी गई थी। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार वर्ष 2021-22 में सात अरब डॉलर था, जो वर्ष 2022-23 में 8.16 अरब डॉलर का हो चुका है।
समझौते का यह होगा फायदा
इस प्रकार के समझौतों में दोनों देश व्यापार सामग्री पर सीमा शुल्क न्यूनतम अथवा खत्म कर देते हैं। वे सेवा व निवेश के क्षेत्र में व्यापार प्रोत्साहन नियमों में ढील देते हैं। भारतीय उद्योग कपड़ा व चमड़ा आधारित उत्पादों पर कर खत्म करने और पेशेवरों के लिए वीजा प्रक्रिया सरल करने की अपेक्षा रख रहा था, जबकि कनाडा ने डेयरी व कृषि उत्पाद क्षेत्र में रूचि दिखाई थी।
भारत के व्यापारिक हित को नहीं होगा नुकसानः जीटीआरआई
ग्लोबल रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) नामक थिंकटैंक के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि भारत-कनाडा एफटीए वार्ता रोकने से भारतीय व्यापारिक हितों को नुकसान नहीं होगा। भारत के आधे से ज्यादा उत्पाद कनाडा में पहले से ही कर-मुक्त हैं। भारत की स्वास्थ्य व शिक्षा क्षेत्र की कंपनियां इतनी वैश्विक नहीं हैं कि कनाडा में कारोबार स्थापित करें। एफटीए रोकने से कनाडा के निर्यात को ही नुकसान पहुंचेगा, क्योंकि भारत की उच्च कर दर का उसे ही लाभ मिलता।