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Friday, May 3, 2024

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पहली बार सड़क पर माया का वारिस आकाश उतरा

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले आकाश आनंद बुधवार को भोपाल की सड़कों पर संघर्ष करते नजर आए. दलित और आदिवासी समुदाय के मुद्दों को लेकर बसपा के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद ने राजभवन का घेराव करने के लिए पैदल मार्च निकाला. पुलिस ने भले ही उन्हें राजभवन पहुंचने से पहले रोक लिया हो, लेकिन आकाश ने राजनीतिक संदेश दे दिया है. आकाश आनंद पहली बार पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ जमीन पर प्रदर्शन करते दिखे, जिसे मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बसपा अकेले अपनी किस्मत आजमा रही है और पार्टी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी आकाश आनंद और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम के कंधों पर है. मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने दलित और आदिवासी उत्पीड़न को लेकर मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार सिर्फ दलितों और आदिवासियों के साथ छलावा कर रही है. उन्होंने बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दल, चाहे वह कांग्रेस हो या बीजेपी, आदिवासियों के उत्थान की बात करते हैं, लेकिन उनके उत्थान के लिए कुछ नहीं किया है. कांग्रेस हो या बीजेपी, दोनों को आदिवासियों का ही वोट मिलता है.आकाश आनंद ने भले ही अंबेडकर मैदान में डेढ़ मिनट का भाषण दिया हो, लेकिन भोपाल की सड़कों पर उतरकर उन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के समीकरण साधने के लिए बड़ा सियासी दांव चला है. राज्य में करीब 22 फीसदी आदिवासी समुदाय और 17 फीसदी दलित आबादी है. राज्य विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं, जिनमें से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए और 35 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इस तरह 82 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं जबकि 148 सीटें अनारक्षित हैं.मध्य प्रदेश चुनाव में बसपा की नजर दलित और आदिवासी समुदाय के वोटों पर है, जिनकी आबादी 40 फीसदी के करीब है. बसपा इन 40 फीसदी वोटों को अपने पाले में लाकर मध्य प्रदेश की राजनीति में किंगमेकर बनने का सपना देख रही है, जिसे सजाने-संवारने का जिम्मा मायावती के भतीजे आकाश आनंद संभाल रहे हैं. इसलिए आकाश जमीन पर उतरकर दलित और आदिवासी समुदाय को साधने में जुट गए हैं. बुधवार को भाजपा और कांग्रेस ने बसपा विधायक रामबाई के साथ ही बड़ी संख्या में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी में शामिल कर अपनी ताकत का एहसास करा दिया है. इसके साथ ही बसपा ने विधानसभा चुनाव में तीसरे मोर्चे के रूप में अपनी आमद दर्ज करा दी है.

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