लोकसभा चुनाव के बीच पश्चिम बंगाल के दो प्रमुख धार्मिक संगठनों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि हम हमेशा राजनीति से दूर रहे हैं। हमने कभी किसी भी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए वोट नहीं मांगे हैं। दरअसल, टीएमसी सुप्रीमों और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को आरोप लगाया था कि रामकृष्ण मिशन के कुछ भिक्षुओं ने आसनसोल में भक्तों से भाजपा के पक्ष में वोट करने के लिए कहा था। वहीं, भारत सेवाश्रम संघ के एक भिक्षु ने टीएमसी एजेंट को बहरामपुर में एक मतदान केंद्र पर बैठने से मना किया था। बनर्जी का आरोप था कि दोनों मठ भाजपा के निर्देशों के तहत काम कर रहे हैं।
इन्हीं आरोपों का जिक्र पीएम मोदी ने भी रविवार को पुरुलिया रैली में किया। उन्होंने कहा कि टीएमसी रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के खिलाफ झूठ फैला रही हैं। यह हद से पार है। अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए ममता बनर्जी धार्मिक संगठनों को धमका रही हैं।
हम आरोपों से दुखी हैं: मिशन
रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ दोनों ने ममता बनर्जी के आरोपों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि वे केवल समाज की सेवा पर ध्यान केंद्रित करते हैं। बेलूर में रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय के एक वरिष्ठ भिक्षु ने कहा कि हम आरोपों से दुखी हैं। हम किसी भी विवाद में फंसना नहीं चाहते। सभी क्षेत्रों से हजारों आगंतुक हमारे परिसर में प्रार्थना करने आते हैं। हम लोगों के बीच धर्म और अध्यात्म के मूल्यों को फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। न तो मिशन और न ही हमारे किसी भिक्षु ने किसी विशेष पार्टी को वोट करने के लिए कहा है।
भारत सेवाश्रम संघ के एक प्रवक्ता ने बताया कि चक्रवात से लेकर कोविड-19 महामारी तक हम हमेशा दूर-दराज के इलाकों में प्रभावितों की सहायता के लिए पहुंचे। हम 107 साल पुराने संगठन हैं। हमारे भिक्षु धर्मार्थ स्वास्थ्य क्लीनिक, अस्पताल और शैक्षणिक संस्थान चलाते हैं। हम न तो कभी राजनीति में शामिल रहे और न ही कभी भविष्य में राजनीति में शामिल हेोंगे।