34 C
Mumbai
Thursday, April 25, 2024

आपका भरोसा ही, हमारी विश्वसनीयता !

यूपी में अधिकांश मौतें कोरोना में दवाओं और ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से: लल्लू

लखनऊ: यूपी में अधिकांश मौतें कोरोना में दवाओं और ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए आरोप लगाया कि कोरोना के संकटकाल में योगी के चौपट राज ने उत्तर प्रदेश को चौपट प्रदेश में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में रोजाना हजारो की संख्या में कोविड संक्रमण के मामले और सैकड़ो की संख्या में लोगों के दम तोड़ने की खबरें आ रही हैं।

निडर, निष्पक्ष, निर्भीक चुनिंदा खबरों को पढने के लिए यहाँ >> क्लिक <<करें

यूपी में अधिकांश मौतें

इनमें से अधिकतम मृत्यु ऑक्सीजन या दवाई की कमी के चलते हो रही हैं, यह भयावह है। लेकिन, इससे भी ज्यादा भयावह है आंकड़ों में धोखाधड़ी। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में आंकड़ों में यह हेर-फेर देखने को मिल रहा है। प्रदेश में जांच कम हो रही है आंकड़ों में हेराफेरी कर बताया जा रहा है और सरकार शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन डालकर तथ्यों को छुपाने का प्रयास कर रही है लेकिन अपनों को खोने वालों की संख्या सरकारी आंकड़ों की पोल खोल रही है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रशासनिक आंकड़ों को तथ्यों सहित झुठलाते हुए कहा कि प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार लखनऊ में 3 मई तक एक सप्ताह में केवल 276 मृत्यु दर्ज हुईं, जबकि श्मशान घाट के रिकॉर्ड के अनुसार इस दौरान लखनऊ में 400 मृतकों के अंतिम संस्कार हुए। वहीं, कानपुर में 24 अप्रैल तक एक सप्ताह में 66 मृत्यु (प्रशासनिक आंकड़ा) दर्ज हुई, जबकि श्मशान घाट में जलाई गई चिताओं का आंकड़ा 462 था। गाजियाबाद में 18 अप्रैल तक एक सप्ताह में कई मौतें हुईं, जिनमें से 17 अप्रैल को एक भी मौत सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं हुई।

अधिक महत्वपूर्ण जानकारियों / खबरों के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

लेकिन, पड़ताल करने पर श्मशान में रोजाना 50 से ज्यादा शव जलने की बात सामने आई। आगरा में 17 अप्रैल का सरकारी आंकड़ा 4 मौतों का है, लेकिन आगरा के केवल ताजगंज शमशान घाट में 47 चिताएं जली। बिजनौर के 4 दिनों में एक भी मौत सरकारी कागजों में दर्ज नहीं हुई, लेकिन यहां के श्मशान में 100 मृत्यु व अंतिम संस्कार का पता चला। 7 मई को हमीरपुर क्षेत्र में यमुना नदी में दर्जनों लाशें तैरती देखी गयीं। लोगों का मानना है कि श्मशान घाट में जगह न मिलने के कारण परिजनों ने यह शव यमुना में बहा दिए।

अगले दिन इन शवों को कुत्ते खाते मिले। श्मशान घाटों में पड़ताल करने पर पता लगा कि वहां शवों के अंतिम संस्कार के लिए पूरे दिन लाइन में अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे हृदय-विदारक दृश्य मानवता को शर्मसार करने व सरकार की विफलता प्रमाणित करने के लिये पर्याप्त है।

‘लोकल न्यूज’ प्लेटफॉर्म के माध्यम से ‘नागरिक पत्रकारिता’ का हिस्सा बनने के लिये यहाँ >>क्लिक<< करें

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि राज्य सरकार के स्थानीय प्रशासन ने सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में हेर-फेर कर मौतों की संख्या आंकड़ों में कम बताकर झूठ बोलने का पाप किया है। इसी तरह वह टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट व टीकाकरण के आंकड़ों में हेर फेर कर गलत तथ्य प्रस्तुत कर सब व्यवस्थित होने का फर्जी दावा कर रही है जबकि सच्चाई यह है कि उत्तर प्रदेश में सब कुछ अव्यवस्थित है।

अजय कुमार लल्लू ने कहा कि आंकड़ों में हेरफेर का मामला सामने आने पर जब उच्च न्यायालय ने गलत आंकड़ें पेश करने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई, तब कई और ऐसे मामले सामने आए। इसी पंचायत चुनाव के चलते राज्य के 800 शिक्षकों और कर्मचारियों की चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने से मृत्यु की संख्या सामने आई। जिस पर राज्य सरकार चुप्पी साधकर बैठी हुई है।

ताजा खबर - (Latest News)

Related news

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here