महाराष्ट्र के ठाणे की एक अदालत के 100 साल पुराने एक चोरी के मामले के आदेश की कॉपी मिली है। जो कि आम की चोरी की है। जिससे उस समय की कानूनी कार्रवाई के बारे में जानकारी मिलती है।
हम अक्सर पुराने समय की फिल्म या कोई फोटो वीडियो देखकर यह सोचने लगते हैं, कि पुराने जमाने में लोग क्या करते होंगे? कैसे रहते होंगे? क्या सोचते होंगे? अब हाल ही में ठाणे अदालत के एक फैसले से 100 साल पुराने लोगों की सोच का पता चलता है। यह मामला आम की चोरी का है।
महाराष्ट्र के ठाणे की एक अदालत में एक वकील को 5 जुलाई 1924 के आदेश की प्रति मिली है। इस मामले का शीर्षक था क्राउन बनाम अंजेला अल्वेरेस और 3 अन्य। जिसमें 185 हरे आम की चोरी हुई थी। इसके लिए आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 379/109 के तहत आरोप लगा था।
वकील पूनित महिमकर का कहना है कि ठाणे शहर में अपने पिछले घर से शिफ्ट होने के दौरान उन्हें मेजेनाइन में वर्षों से लावारिस पड़ा एक बैग मिला। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि पहले वाले घर में रहने वालों ने इस बैग को छोड़ा हो। जब उन्होंने बैग खोला तो उसमें कुछ पुराने संपत्ति के कागजात और मजिस्ट्रेट के आदेश की एक प्रति मिली।
जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों को बोस्तियाव एलिस एंड्राडेन के खेत से आम तोड़ते समय रंगे हाथों पकड़ा गया था। गवाहों ने आरोपी को चोरी हुए आमों को एक स्थानीय डीलर को बेचते हुए देखने की गवाही दी। एंड्राडेन को अपनी संपत्ति (आम) वापस पाने और कानूनी कार्रवाई की मांग की। बचाव पक्ष ने खुद को निर्दोष बताते हुए दलील दी। मजिस्ट्रेट ने आरोपी को चोरी का दोषी ठहराया।
इसके बाद उन्होंने फैसाल सुनाते हुए कहा “पूरे सबूतों पर विचार करते हुए, मैं मानता हूं कि आरोपी चोरी के अपराध के दोषी हैं। लेकिन वे सभी युवा पुरुष हैं और मैं उन्हें सजा देकर उनका जीवन बर्बाद नहीं करना चाहता। इसके अलावा उन पर पहले से कोई दोषसिद्धि नहीं है। मैं उन्हें दोषी ठहराता हूं। धारा 379/109 के तहत और उचित चेतावनी के बाद उन्हें रिहा करें।
वकील महिमकर ने कहा कि वह अब दस्तावेज़ को संरक्षित करने की योजना बना रहे हैं।