आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने से रोकने के मुद्दे पर कहा कि कर्नाटक दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है जहाँ सांप्रदायिक सौहार्द उसकी पहचान रही है, लेकिन अफ़सोस कि यहाँ भी राष्ट्रीय एकता को चकनाचूर करने की कोशिश हो रही है.
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उडीपी और कर्नाटक के दूसरे इलाकों के कई स्कूलों में मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने से रोकना ऐसी ही साज़िशों का नतीजा है. आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड इसकी कठोर निंदा करता है.
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मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि लिबास का ताल्लुक ज़ाती पसंद से है और यह मसला व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दायरे में आता है, इसलिए इसको मुद्दा बनाकर समाज में मतभेद पैदा करना उचित नहीं है, हर वर्ग को इसकी आज़ादी होनी चाहिए कि वह अपनी पसंद के कपड़े धारण करे.
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उन्होंने कहा कि सेक्युलरिज़्म का मतलब यह नहीं है कि कोई व्यक्ति या गिरोह अपनी धार्मिक पहचान उजागर न करे, हाँ यह बात ज़रूर सेकुलरिज्म में आती है कि सरकार किसी धर्म विशेष की पहचान को सभी नागरिकों पर उसकी मर्ज़ी के बिना उसपर थोप नहीं सकते , इसलिए कर्नाटक सरकार को चाहिए कि वह सरकारी स्कूलों में न किसी विशेष ड्रेस के पहनने का हुक्म दे और न किसी गिरोह को उनकी पसंद का ड्रेस पहनने से मना करे.