राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नाम और चुनाव चिह्न के मामले में चुनाव आयोग ने उप मुख्यमंत्री अजित पवार के गुट के पक्ष में फैसला सुनाया है। इस पर पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि वह चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हैं और किसी भी सियासी दल के लिए चुनाव चिह्न जरूरी होता है। इस बीच, राकांपा की वरिष्ठ नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि उनकी पार्टी आयोग के फैसले सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देगी।
प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ऐसा हो सकता है कि कल इस फैसले को शीर्ष अदालत या उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाए। लेकिन, इसमें हमें कुछ नहीं कहना है। हम चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा, चुनाव आयोग का फैसला साबित करता है कि पार्टी के ज्यादातर कार्यकर्ता और चुने हुए प्रतिनिधि अजित पवार के साथ हैं।
फैसला संविधान की भावना के खिलाफ: प्रियंका चतुर्वेदी
वहीं, चुनाव आयोग के फैसले पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, मैं बिल्कुल भी हैरान नहीं हूं। एक व्यक्ति जिस पर 70,000 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। आज वह बीजेपी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। अजीत पवार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री हैं। यह संविधान की अनुसूची 10 की भावना के खिलाफ है।”
चुनाव आयोग का फैसला लोकतंत्र की हत्या: अनिल देशमुख
राकांपा नेता अनिल देशमुख ने कहा, “आज चुनाव आयोग ने शरद पवार की पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह अजित पवार को दे दिया है। इसी तरह का फैसला शिवसेना के मामले में भी लिया गया था। राकांपा की स्थापना शरद पवार ने की थी। वह वर्षों तक पार्टी के अध्यक्ष रहे। दबाव में चुनाव आयोग का फैसला लोकतंत्र की हत्या है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”