बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने सोमवार को सात इस्लामी आतंकवादियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। 2016 के मामले में अदालत का फैसला लगभग चार साल बाद आया। देशवासियों के बीच लोकप्रिय ढाका कैफे में देश के सबसे भयानक आतंकवादी हमले में दोषी ठहराए गए आतंकियों को अब अपनी मौत तक जेल की सजा काटनी पड़ेगी। आतंकवादियों के हमले में एक भारतीय लड़की समेत 23 लोगों की मौत हुई थी।
खबरों के अनुसार, भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने 1 जुलाई 2016 को ढाका के पॉश राजनयिक क्षेत्र में होली आर्टिसन बेकरी रेस्तरां पर हमला किया था। भोजन करने वालों को बंधक बनाने के बाद इन्होंने तीन बांग्लादेशियों, सात जापानी, नौ इतालवी और एक भारतीय की हत्या कर दी।
कमांडो के बचाव अभियान के दौरान आतंकवादी मारे गए। लगभग 12 घंटे चले संघर्ष के दौरान दो पुलिस अधिकारियों और एक शेफ की मौत हुई थी। हमले के बाद सुरक्षाबलों की छापेमारी के दौरान आठ संदिग्ध मारे गए थे।
बता दें कि 27 नवंबर, 2019 को, ढाका में आतंकवाद विरोधी विशेष न्यायाधिकरण ने देश की सबसे बर्बर आतंकी वारदात मामले में सात आतंकवादियों को दोषी ठहराया। हमले में शामिल होने के दोषी पाए गए सातों आरोपी नियो जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश के सदस्य थे। अदालत ने सभी को मौत की सजा सुनाई।
ढाका ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने सात लोगों की मौत की सजा को मृत्यु तक कारावास में बदल दिया। हाईकोर्ट की पीठ में न्यायमूर्ति शाहिदुल करीम और न्यायमूर्ति मोहम्मद मुस्तफिजुर रहमान शामिल थे।
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक यह फैसला मौत के मामले में अपील पर सुनवाई खत्म होने के बाद आया। इसकी पुष्टि डिप्टी अटॉर्नी जनरल बशीर अहमद और बचाव पक्ष के वकील अरिफुल इस्लाम ने की। बांग्लादेश आपराधिक प्रक्रिया संहिता के अनुसार, निचली अदालतों की तरफ से जारी किसी भी मौत की सजा को अंतिम रूप देने से पहले उच्च न्यायालय फैसले की समीक्षा करता है।
बता दें कि इस्लामिक स्टेट समूह ने हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन सरकार ने इसे खारिज करते हुए कहा कि इसके पीछे घरेलू समूह का हाथ था। वारदात की जांच में शामिल अधिकारियों के अनुसार, इस्लामिक स्टेट या आईएस दर्शन के प्रति झुकाव रखने वाले घरेलू आतंकवादी समूह- नियो जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (नियो-जेएमबी) पर संदेह था। इनके अनुसार, अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने और मुस्लिम बहुसंख्यक राष्ट्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आतंकी हमला किया गया।