ओडिशा विधानसभा सत्र की कार्यवाही में भाजपा द्वारा पूछे गए सवालों को खारिज करने के मामले में पिछले दो दिनों से गतिरोध जारी है। विधानसभा अध्यक्ष की सर्वदलीय बैठक के बावजूद भाजपा का विरोध जारी रहा। इसी बीच भाजपा ने बुधवार को विधानसभा में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया। 25 सितंबर को सदन में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा विपक्षी दलों को जन विरोधी कहने पर विपक्ष खासा नाराज है।
विशेषाधिकार नोटिस को आगे बढ़ाते हुए, विपक्षी भाजपा के मुख्य सचेतक मोहन माझी ने आरोप लगाया कि पटनायक ने अपने निजी सचिव वीके पांडियन को बचाने के लिए खुद ही यह बयान दिया था, जो पूरे ओडिशा में अपने तूफानी दौरे के कारण विवादों में हैं। इस मामले पर चर्चा की कोई मांग नहीं थी। लेकिन मुख्यमंत्री ने ‘स्वतः संज्ञान’ बयान दिया। इससे पहले, कई मुद्दों पर सीएम का बयान मांगा गया था। लेकिन उन्होंने कभी कोई बयान नहीं दिया।
माझी बोले, माफी मांगे मुख्यमंत्री नवीन पटनायक
बीजेपी नेता ने मुख्यमंत्री पर अपने बयान के जरिए विपक्षी विधायकों का अपमान करने का भी आरोप लगाया। हम लोगों द्वारा विधानसभा के लिए चुने गए हैं। हम जनविरोधी कैसे हो सकते हैं? माझी ने सीएम से माफी मांगने की मांग की।
भाजपा के विशेषाधिकार प्रस्ताव नोटिस का समर्थन करते हुए, कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता नरसिंह मिश्रा ने कहा, जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों को जनविरोधी कहना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा लगता है कि यहां कोई लोकतंत्र नहीं है। पटनायक ने निर्वाचित जन प्रतिनिधियों का अपमान किया है।
एक और विशेषाधिकार नोटिस दायर
वरिष्ठ कांग्रेस विधायक एसएस सलूजा ने मंत्री प्रफुल्ल मलिक के खिलाफ सदन को गलत जानकारी देने का आरोप लगाते हुए एक और विशेषाधिकार नोटिस दायर किया।
हंगामा जारी रहने पर मलिक ने सदन की कार्यवाही तीन बार शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी। विधानसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिए चर्चा करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई, लेकिन हंगामा जारी रहा।