सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या राजनीतिक दलों की ओर से रैलियों में बिना भुगतान के सार्वजनिक परिवहन का उपयोग किया जा सकता है? शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
हाईकोर्ट ने यूपी कांग्रेस कमेटी (यूपीसीसी) को यूपी राज्य पथ परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) को 2.66 करोड़ रुपये बकाया चुकाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक नहीं लगाई और कहा कि बकाया वसूली के आदेश पर रोक यूपीसीसी की ओर से चार हफ्ते में 1 करोड़ रुपये जमा करने की शर्त के अधीन होगी। यूपी में 1981 से 1989 के बीच सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने रैलियों में रोडवेज बसों-टैक्सियों का इस्तेमाल किया था और तब से बिल बकाया है।
मध्यस्थ नियुक्त करने की संभावना तलाशेगी शीर्ष अदालत
जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने यूपीसीसी की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह याचिकाकर्ता की वास्तविक देनदारी का पता लगाने के लिए मध्यस्थ नियुक्त करने की संभावना तलाशेगी। यूपीसीसी के वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि भले ही हाईकोर्ट ने कहा था कि 1972 अधिनियम के तहत कोई वसूली नहीं हो सकती पर विवेकाधीन शक्तियों के माध्यम से माना कि राशि का भुगतान करना होगा।
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा, क्या राजनीतिक दल रैलियों के लिए बिना भुगतान के सार्वजनिक परिवहन इस्तेमाल कर सकते हैं। इस पर खुर्शीद ने उत्तर दिया ‘नहीं’।