पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में गंगा और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर गौर करते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने तीनों राज्यों में जिला गंगा संरक्षण समितियों को नोटिस जारी किए हैं और संबंधित जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है।
अधिकरण तीनों राज्यों में गंगा के प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के संबंध में मामले की सुनवाई कर रहा था। गंगा पश्चिम बंगाल के 10 जिलों से होकर बहती है जबकि इसकी सहायक नदियां लगभग 15 जिलों में फैली हुई हैं। गंगा और उसकी सहायक नदियां उत्तराखंड के 13 जिलों से होकर बहती हैं जबकि नदी की मुख्य धारा उत्तर प्रदेश के 27 जिलों से होकर बहती है।
न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने हाल के एक आदेश में कहा, ‘पश्चिम बंगाल में संबंधित जिला गंगा संरक्षण समितियों को उनके पदेन अध्यक्ष (जिला मजिस्ट्रेट) के माध्यम से एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया जाए।’
पीठ ने साथ ही कहा कि हम उन सभी जिलों के जिलाधिकारियों को निर्देश देते हैं जहां से पश्चिम बंगाल में गंगा और उसकी सहायक नदियों की मुख्य धारा बहती है, कि वे प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए समितियों की ओर से उठाए गए कदमों के संबंध में मुद्दों पर अपनी अलग रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
उत्तराखंड के लिए एक अलग आदेश में, पीठ ने 13 जिला गंगा संरक्षण समितियों से रिपोर्ट मांगी और जिलाधिकारियों को प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।
हालांकि, उत्तर प्रदेश के लिए, एनजीटी ने राज्य के वकील को गंगा की मुख्य धारा और प्रत्येक जिले में बहने वाली सहायक नदियों के विवरण का खुलासा करने वाला एक चार्ट तैयार करने का निर्देश दिया।
एनजीटी ने राज्य की सभी 75 जिला गंगा संरक्षण समितियों से भी रिपोर्ट मांगी। पीठ उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल के मामले में क्रमश: 24 नवंबर, 4 दिसंबर और 6 दिसंबर को सुनवाई करेगी।