भारत रक्षा क्षेत्र में खुद को लगातार मजबूत बना रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत दुनियाभर में सैन्य क्षेत्र में सबसे ज्यादा खर्च करने वाले देशों की सूची में तीसरा सबसे बड़ा देश है। इस सूची में भारत से ऊपर अमेरिका और चीन हैं। इस बीच, सरकार ने बताया है कि भारत ने बीते पांच वर्षों में 1.93 लाख करोड़ रुपये मूल्य के सैन्य उपकरण खरीदे हैं। सरकार ने लोकसभा में यह जानकारी दी है।
रक्षा राज्यमंत्री ने दी जानकारी
गुरुवार को लोकसभा में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने सैन्य आयात पर खर्च का ब्यौरा पेश किया। उन्होंने बताया कि बीते पांच सालों में जिन प्रमुख रक्षा उपकरणों का आयात किया गया है, उनमें हेलीकॉप्टर, विमान रडार, रॉकेट, बंदूकें, असॉल्ट राइफलें, मिसाइल और गोला-बारूद शामिल हैं। गौरतलब है कि ये डेटा 2017-18 से 2021-22 की अवधि से संबंधित है।
रक्षा राज्यमंत्री भट्ट द्वारा पेश किए गए विवरण के मुताबिक, 2017-18 में विदेशों से किया गया आयात 30,677.29 करोड़ रुपये था, जबकि 2018-19 में यह बढ़कर 38,115.60 करोड़ रुपये और 2019-20 में 40,330.02 करोड़ रुपये हो गया था। इसके बाद 2020-21 में राशि 43,916.37 करोड़ रुपये हो गई थी। हालांकि साल 2021-22 में विदेशों से आयात में कमी आई। 2021-22 में आयात राशि घटकर 40,839.53 करोड़ रुपये रह गई। इस तरह बीते पांच सालों मे कुल 1,93,878.81 करोड़ रुपये के सैन्य उपकरण आयात किए गए।
264 पूंजीगत अधिग्रहण अनुबंधों पर हुए हस्ताक्षर
उन्होंने बताया कि पिछले पांच वित्तीय वर्षों (2017-18 से 2021-2022) और चालू वित्त वर्ष 2022-23 (दिसंबर, 2022 तक) के दौरान रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए कुल 264 पूंजीगत अधिग्रहण अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इनमें से 88 अनुबंध जो कुल अनुबंध मूल्य के 36.26 प्रतिशत हैं, के लिए अमेरिका, रूस, फ्रांस, इस्त्राइल, स्पेन आदि जैसे विदेशी देशों के विक्रेताओं के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं।
डीआरडीओ कर रहा 55 ‘मिशन मोड’ परियोजनाओं पर काम
एक अलग सवाल के जवाब में भट्ट ने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) कुल स्वीकृत 73,942.82 करोड़ रुपये की 55 ‘मिशन मोड’ परियोजनाओं पर काम कर रहा है। ये परियोजनाएं परमाणु रक्षा प्रौद्योगिकी, एआईपी, लड़ाकू सूट, टारपीडो, लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइल, मानव रहित हवाई वाहन, गैस टरबाइन इंजन, असॉल्ट राइफल, वारहेड, लाइट मशीन गन, रॉकेट और उन्नत के क्षेत्र की आर्टिलरी गन सिस्टम, इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल कमांड, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, एंटी-शिप मिसाइल, एंटी-एयरफील्ड हथियार और ग्लाइड बम हैं।