साल 2012 में 4 मई को ओंचियाम में रिवोल्यूशनरी मार्क्सवादी पार्टी (आरएमपी) के नेता चंद्रशेखरन की हत्या के मामले सजा काट 12 आरोपियों में से तीन आरोपियों की सजा कथित तौर पर माफ किए जाने के मामले में राज्य में वार-पलटवार का सिलसिला शुरू हो गया है। भाजपा और यूडीएफ ने राज्य की एलडीएफ सरकार के फैसले पर निशाना साधा है। मामले में कांग्रेस के महासचिव और अलप्पुझा से सांसद के. सी. वेणुगोपाल ने कहा कि न सिर्फ कांग्रेस बल्कि पूरा केरल सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करेगा।
वहीं राज्य में नेता प्रतिपक्ष वी. डी. सतीशन ने कहा कि सरकार का ये फैसला चौंकाने वाला है क्योंकि दोषियों की सजा में छूट पर विचार करना उच्च न्यायालय के उस फैसले का उल्लंघन होगा जिसमें उन्हें छूट देने से साफ इनकार किया था। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि ये साफ रूप से दर्शाता है कि चंद्रशेखरन के आरोपियों को सरकार बचाना चाहती है। सतीशन ने इस दौरान दावा किया कि राज्य सरकार ने दोषियों को कई बार पैरोल दिए हैं, उन्हें जेल में पांच स्टार होटल जैसी सुविधाएं दी हैं और जेल के अंदर से संदिग्ध वित्तीय सौदे करने में सक्षम भी बनाया है।
‘लगातार ‘गलतियां’ कर रही सत्तारूढ़ पार्टी’
उन्होंने आरोप लगाया, कि सीपीआई (एम) अब ऐसी पार्टी बन गई है जो अपराधियों को संरक्षण देती है और कुछ भी करने से पीछे नहीं हटते। अभी भी वो अहंकारी हैं और मानते हैं कि क्योंकि उनके पास शक्ति है तो वो कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने पूछा, जब उच्च न्यायालय ने दोषियों को छूट देने पर रोक लगा दी है तो सरकार या जेल अधीक्षक को दोषियों को छूट देने का क्या अधिकार है? विपक्षी नेता ने कहा कि लोकसभा चुनावों में बड़ा झटका लगने के बावजूद राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी लगातार ‘गलतियां’ कर रही है और इससे सबक लेने या खुद को सुधारने के लिए तैयार नहीं है।
चंद्रशेखरन की पत्नी ने भी फैसले पर जताया आश्चर्य
वहीं यूडीएफ विधायक और चंद्रशेखरन की पत्नी के.के. रेमा ने इसपर आश्चर्य जताते हुए कहा कि दोषियों को किसी भी तरह की छूट देने पर उच्च न्यायालय का आदेश था। बता दें कि मामले में 12 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी को अपने आदेश में कहा था कि उनमें से नौ को 20 साल की सजा पूरी करने से पहले छूट नहीं मिलेगी। वहीं इन नौ दोषियों में से टी.के. राजेश, के.के. मोहम्मद शफी और एस. सिजिथ तीन ऐसे दोषी हैं, जिनकी सजा में छूट दिए जाने पर विचार किया जा रहा है।
‘मुख्यमंत्री के जानकारी के बिना ऐसा होना असंभव’
मामले में रेमा ने कहा कि जेल अधीक्षक मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की जानकारी और समर्थन के बिना अकेले यह फैसला नहीं ले सकते थे। उन्होंने कहा, काफी सोच-समझकर ये योजना बनाई गई है यह एक गंभीर मामला है। सरकार बार-बार साबित कर रही है कि वे दोषियों के साथ है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम का कानूनी और राजनीतिक दोनों तरह से विरोध किया जाएगा।