सिक्किम में रविवार को विधानसभा के नतीजे आए। एसकेएम की आंधी में सबका सूपड़ा साफ हो गया। प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व में एसकेएम ने 32 में से 31 सीटों पर जीत हासिल की। सिक्किम में इस बार विपक्ष विहीन सरकार बनने जा रही है। लेकिन यह पहली बार नहीं है, जब सिक्किम में विपक्ष विहीन सरकार बन रही है। इससे पहले भी 2009 के विधानसभा चुनाव में एसडीएफ ने 32 की 32 सीटों पर जीत हासिल की थी और पवन चामलिंग राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। इसी तरह से 2004 के विधानसभा चुनाव में भी एसडीएफ को 31 सीटें और कांग्रेस को केवल एक सीट मिली थी। तब भी विपक्ष में कोई पार्टी नहीं थी।
अरुणाचल प्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री पेमा खांडू सहित सभी बड़े नेता जीते जबकि सिक्किम में एसडीएफ प्रमुख और पूर्व सीएम पवन चामलिंग दो सीटों से लड़ रहे थे। वे दोनों ही सीटों से हार गए। नामची-सिंघीथांग सीट पर मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की पत्नी कृष्णा कुमारी राय (एसकेएम) ने पूर्व सीएम को शिकस्त दी। जबकि मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग सहित उनके मंत्रिमंडल के सभी साथी जीते। सीएम प्रेम सिंह तमांग ने दो सीटों पर चुनाव लड़ा था, दोनों पर जीत हासिल की। वहीं राष्ट्रीय दलों भाजपा और कांग्रेस खाता भी नहीं खुल पाया। यहां के लोग क्षेत्रीय अस्मिता को प्रमुखता देते हैं। यहां के लोगों को बाहर से ज्यादा अपने ही स्थानीय लोगों पर भरोसा है। कहते हैं, हमारे स्थानीय मुद्दों को राष्ट्रीय पार्टियां समझ नहीं सकतीं। इसके साथ ही एक दिलचस्प जो देखने को मिली, यहां के लोगों में धैर्य बहुत है और किसी भी राजनीतिक दल को पूरा-पूरा मौका देते हे।
तमांग ने जिद और जज्बे से बनाया मुकाम
प्रेम सिंह तमांग पश्चिम सिक्किम से आते हैं। 1990 के दशक की शुरुआत से सक्रिय राजनीति करने वाले प्रेम सिंह तमांग ने 2019 में सिक्किम की 25 वर्षों की पुरानी पार्टी को पवन चामलिंग की सत्ता को उखाड़ फेंका। उल्लेखनीय है कि 1993 में प्रेम सिंह तमांग सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) में शामिल हुए। वे 1994 में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे और उन्हें राज्य सरकार में मंत्री भी बनाया गया। 2009 तक वे कैबिनेट मंत्री बने रहे। इसके बाद उन्होंने बगावत 2013 में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) का गठन किया। 2019 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा। 2019 में एसकेएम ने राज्य की 32 में 17 सीटों पर जीत हासिल की और प्रेम सिंह तमांग राज्य के मुख्यमंत्री बने। प्रेम सिंह तमांग ने राज्य के 25 साल तक मुख्यमंत्री रहे पवन चामलिंग को हराया था। उल्लेखनीय है कि 1994 से लगातार पवन कुमार चामलिंग सिक्किम के मुख्यमंत्री थे।
2019 में 15 सीट जीतने और 25 वर्षों तक सिक्किम में राज करने वाली पार्टी एसडीएफ का इस बार सूपड़ा साफ हो गया। सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेअम) की इस आंधी एक विपक्षी उम्मीदवार ऐसा भी रहा जिसने डटकर मुकाबला किया और जीत भी दर्ज की। उनका नाम है तेनजिंग नोरबू लाम्था, जो श्यारी विधानसभा सीट से सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के उम्मीदवार हैं। तेनजिंग ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा के कुंगा नीमा लेप्चा को 1314 वोटों के अंतर से हराया। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। सोशल वर्क के लिए उन्होंने राज्य सरकार की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था।
भाजपा का नहीं खुला खाता
राज्य में भाजपा ने 31 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा। हालांकि, भाजपा राज्य में एक सीट नहीं जीत पाई। यहां केवल 5.18 प्रतिशत वोट भाजपा को मिल सके। सिक्किम भाजपा अध्यक्ष दिली राम थापा अपर बुर्तुक विधानसभा क्षेत्र में एसकेएम उम्मीदवार काला राय से हार गए। भाजपा ने मात्र लाचेन मंगन सीट पर चुनाव नहीं लड़ा। अधिकांश सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। बता दें, वर्तमान विधानसभा में भाजपा के 12 सदस्य थे। इसमें 10 तो एसडीएफ छोड़कर भाजपा में आए थे।